कमल रावत की याचिका हाईकोर्ट ने की निरस्त, राजनीतिक गलियारों में मच सकता है तूफान
चम्पावत। जिला पंचायत की भंडारबोरा सीट से दावेदारी कर रहे पूर्व भाजपा मंडल अध्यक्ष कमल रावत का नामांकन रद्द होने

कमल रावत की याचिका हाईकोर्ट ने की निरस्त, नामांकन रद्द होने के बाद लगाई थी याचिका
चम्पावत। जिला पंचायत की भंडारबोरा सीट से भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष कमल रावत का नामांकन रद्द होने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाल ही में यह सूचना मिली है कि उनकी याचिका को न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया है। मामले की जड़ भाजपा के प्रत्याशी शैलेश जोशी द्वारा दायर की गई शिकायत है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि कमल रावत ने अपनी याचिका में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई है। आरोप है कि रावत पर आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई दर्ज की गई थी, जिसका उल्लेख उन्होंने अपनी याचिका में नहीं किया। इस निर्णय ने क्षेत्र के राजनीतिक सर्कलों में हलचल मचा दी है और कमल रावत की राजनीतिक यात्रा में संकट उत्पन्न कर सकता है।
याचिका का निरस्तीकरण और उसके प्रभाव
कमल रावत ने यह अर्जी लगाते हुए कहा था कि उनका नामांकन रद्द करने का निर्णय अन्यायपूर्ण है और उन्होंने सभी आवश्यक चुनावी प्रक्रियाओं का पालन किया है। लेकिन उच्च न्यायालय ने उनके तर्कों को खारिज करते हुए याचिका को निरस्त कर दिया। यह न केवल कमल रावत के लिए, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए भी एक महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि इससे पार्टी की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
भाजपा प्रत्याशी शैलेश जोशी की शिकायत
भाजपा के शैलेश जोशी ने आरोप लगाया है कि कमल रावत ने अपनी याचिका में महत्वपूर्ण जानकारी की अनदेखी की, विशेषकर आईटी एक्ट के संदर्भ में। जोशी का कहना है कि रावत ने अपनी जिम्मेदारियों का सही निर्वहन नहीं किया और इस प्रकार चुनावी नियमों का उल्लंघन किया। यही कारण है कि जोशी ने उनके खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी।
राजनीतिक विश्लेषकों की प्रतिक्रिया
राजनीतिक विश्लेषक इस घटनाक्रम को भाजपा के आंतरिक राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि रावत का नामांकन रद्द होना और याचिका का निरस्त होना पार्टी में बागी गुटों को बढ़ावा दे सकता है, जो अगले चुनावों में भाजपा के लिए चुनौती पेश कर सकता है। कई स्रोतों से यह भी पता चला है कि रावत को पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त नहीं हो रहा है, जिससे उनकी स्थिति और कमजोर हो गई है।
निष्कर्ष
कमल रावत की याचिका की निरस्तीकरण से उनकी राजनीतिक संभावनाएँ और भी कमजोर हो सकती हैं। भाजपा को भी इसकी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी को चाहिए कि वह इस मुद्दे को जल्द प्रभावी तरीके से सुलझाए और अपने कार्यकर्ताओं के समर्थन को पुनः प्राप्त करे। आने वाले दिनों में इस पर और चर्चाएँ और घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं।
कम शब्दों में कहें तो, यह निर्णय राज्य के भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए चिंता का विषय है। अपडेट्स के लिए, विजिट करें: pwcnews.com
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सादर, टीम PWC न्यूज - सिका शर्मा
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