गुरुपर्व 2025: गुरु नानक जयंती पर इन 5 प्रसिद्ध गुरुद्वारों में मनाएं प्रकाश पर्व

गुरुपर्व सिख धर्म के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। इस वर्ष 5 नवंबर, बुधवार को गुरु नानक देव जी का जन्म दिवस पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं — सत्य, समानता और सेवा — को याद करने का अवसर […] The post गुरुपर्व 2025: गुरु नानक जयंती पर इन 5 प्रसिद्ध गुरुद्वारों में मनाएं प्रकाश पर्व appeared first on Khabar Sansar News.

Nov 6, 2025 - 00:53
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गुरुपर्व 2025: गुरु नानक जयंती पर इन 5 प्रसिद्ध गुरुद्वारों में मनाएं प्रकाश पर्व

गुरुपर्व सिख धर्म के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। इस वर्ष 5 नवंबर, बुधवार को गुरु नानक देव जी का जन्म दिवस पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं — सत्य, समानता और सेवा — को याद करने का अवसर देता है। इसे प्रकाश पर्व या गुरु नानक जयंती भी कहा जाता है।

गुरुद्वारों में इस दिन भव्य कीर्तन, लंगर और शोभा यात्राएं आयोजित की जाती हैं। दिल्ली में रहने वाले लोगों के लिए यह आध्यात्मिक शांति और भक्ति का अनुभव करने का आदर्श अवसर है।


गुरुद्वारा बंगला साहिब, कनॉट प्लेस

दिल्ली के हृदय में स्थित गुरुद्वारा बंगला साहिब अपनी सुनहरी गुंबद और शांत सरोवर के लिए प्रसिद्ध है। सफेद संगमरमर से बना यह गुरुद्वारा समानता और करुणा का प्रतीक है, जहां रोजाना हजारों लोग निःशुल्क लंगर में भाग लेते हैं।


गुरुद्वारा सीस गंज साहिब, चांदनी चौक

पुरानी दिल्ली का यह ऐतिहासिक गुरुद्वारा वह स्थान है, जहां गुरु तेग बहादुर जी ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। 1783 में निर्मित, यह स्थान आज भी श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति का एहसास कराता है। इसके सुनहरे गुंबद और पुरानी वास्तुकला इसे दिल्ली का विशेष धार्मिक केंद्र बनाते हैं।


गुरुद्वारा बाबा बंदा सिंह बहादुर, महरौली

यह स्थल सिख योद्धा बाबा बंदा सिंह बहादुर को समर्पित है, जिन्होंने मुगल शासन के अत्याचारों के विरुद्ध वीरतापूर्वक संघर्ष किया था। गुरुपर्व के समय यहां का माहौल भक्तिभाव से ओतप्रोत हो जाता है।


गुरुद्वारा दमदमा साहिब, महरौली

1707 में गुरु गोबिंद सिंह जी और बहादुर शाह की ऐतिहासिक मुलाकात की याद में बने इस गुरुद्वारे में एक संग्रहालय और पुस्तकालय भी है। यहां हर साल होला मोहल्ला उत्सव विशेष रूप से मनाया जाता है।


गुरुद्वारा बाला साहिब जी, सराय काले खां

गुरु हर कृष्ण साहिब जी को समर्पित यह गुरुद्वारा अपनी शांति और संगमरमर की सुंदरता के लिए जाना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि यहां की ऊर्जा आत्मिक शांति और हीलिंग प्रदान करती है।


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