गढ़वाल भवन में साहित्यिक समारोह: संदीप गढ़वाली की "घचाक" और डॉ. रामेश्वरी नादान की हिंदी रचनाओं का लोकार्पण
नई दिल्ली: शनिवार को दिल्ली के गढ़वाल भवन में उत्तराखंड के दो साहित्यकारों की रचनाओं का भव्य विमोचन समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर युवा लेखक एवं गढ़वाली व्यंग्यकार संदीप गढ़वाली की गढ़वाली व्यंग्यात्मक काव्य संग्रह “घचाक” तथा लेखिका डॉ. रामेश्वरी नादान की दो हिंदी पुस्तकों “अनचाहा मेहमान कैंसर” और “सिंदूर” का लोकार्पण किया गया। […] The post गढ़वाल भवन में साहित्यिक संगोष्ठी: संदीप गढ़वाली की “घचाक” और डॉ. रामेश्वरी नादान की दो हिंदी पुस्तकों का भव्य विमोचन appeared first on Devbhoomisamvad.com.

गढ़वाल भवन में साहित्यिक समारोह: संदीप गढ़वाली की "घचाक" और डॉ. रामेश्वरी नादान की हिंदी रचनाओं का लोकार्पण
नई दिल्ली: शनिवार को, दिल्ली के गढ़वाल भवन में उत्तराखंड के दो प्रसिद्ध साहित्यकारों की रचनाओं का भव्य विमोचन समारोह आयोजित किया गया। इस महत्वपूर्ण समारोह में युवा लेखक और गढ़वाली व्यंग्यकार संदीप गढ़वाली की गढ़वाली व्यंग्यात्मक काव्य संग्रह “घचाक” के साथ-साथ लेखिका डॉ. रामेश्वरी नादान की दो हिंदी पुस्तकों “अनचाहा मेहमान कैंसर” और “सिंदूर” का लोकार्पण किया गया।
कम शब्दों में कहें तो, यह आयोजन न केवल साहित्य को समर्पित था, बल्कि यह जिजीविषा और संघर्ष की प्रेरणा देने वाला भी था। Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - PWC News
संदीप गढ़वाली की रचना "घचाक"
संदीप गढ़वाली के काव्य संग्रह “घचाक” की अनूठी विशेषता है उनकी व्यंग्यात्मक शैली। इस काव्य संग्रह में संदीप ने समाज के समसामयिक मुद्दों का बेहद रोचक और तीखा चित्रण किया है। इस पुस्तक को पढ़ते समय पाठक कभी सोचना पड़ता है और कभी हंसने से खुद को रोक नहीं पाते। उनके व्यंग्यात्मक लेखन का उद्देश्य न केवल मनोरंजन करना है, बल्कि समाज में मौजूद विसंगतियों पर ध्यान भी आकर्षित करना है।
डॉ. रामेश्वरी नादान की प्रेरणादायक रचनाएँ
वहीं, डॉ. रामेश्वरी नादान की आत्मकथा “अनचाहा मेहमान कैंसर” उनके व्यक्तिगत संघर्ष को बयां करती है। इस पुस्तक में उन्होंने अपने कैंसर से लड़ने के अनुभवों को साझा किया है, जिसमें न केवल उनकी बीमारी के दौरान के सुख-दुख का वर्णन है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण सावधानियों और मानसिक चुनौतियों पर भी विस्तृत प्रकाश डाला गया है।
उनकी दूसरी पुस्तक “सिंदूर” में डॉ. नादान ने विवाह के अद्भुत अनुभवों को साझा किया है। यह पुस्तक न केवल एक महिला के जीवन की यात्रा है, बल्कि यह समाज में महिलाओं की स्थिति और उनकी पारिवारिक भूमिकाओं को भी उजागर करती है।
साहित्यिक समारोह की गरिमा
इस साहित्यिक समारोह में अनेक साहित्य प्रेमियों ने भाग लिया और दोनों लेखकों की रचनाओं की सराहना की। यह आयोजन एक अनमोल अवसर था, जिसमें उपस्थित दर्शकों ने इन प्रेरणादायक और रोचक पुस्तकों को पढ़ने की प्रेरणा ली।
साहित्यिक संगोष्ठी का आरंभ साहित्यकार वीरेन्द्र जुयाल ‘उपिरि’ के सांस्कृतिक मंत्रोच्चारण से हुआ। इस समारोह को तीन चरणों में विभाजित किया गया। पहले चरण में गुन्नू अर शैलांचली की परिकल्पित काव्य कृति पर सार्थक चर्चा की गई।
दूसरे चरण में सांस्कृतिक पंच मेवा, नारियल रोट भेलिकेक के अठ्वाड़ महोत्सव के साथ पुस्तकों का विमोचन हुआ। इस अवसर पर ‘जगमोरा’ द्वारा एक साहित्यिक संकल्प की घोषणा की गई कि वे भविष्य में साहित्यिक मानदेय राशि का उपयोग साहित्य सेवाओं के लिए करेंगे।
तीसरे चरण में काव्य पाठ हुआ, जिसमें कई कवियों ने अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की। इस दौरान सभी ने अपनी विभिन्न विषयों पर कविताएं सुनाईं, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गईं।
आगामी साहित्यिक गतिविधियाँ
कार्यक्रम के अंतिम भाग में धन्यवाद प्रस्ताव जगमोहन सिंह रावत ‘जगमोरा’ ने प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने सभी उपस्थित साहित्य प्रेमियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति के अंदर एक साहित्यकार है, जिसे जागृत करने की जरूरत है।
कार्यक्रम का संचालन वीरेंद्र जुयाल ‘उपिरि’ ने किया। आने वाले साहित्यिक संगोष्ठी में डॉ. पृथ्वी सिंह केदारखंडी की दो पुस्तकों का विमोचन होना है, जो साहित्य प्रेमियों के लिए और भी रोचक हो सकता है।
अंत में, इस सफल आयोजन पर गढ़वाल हितैषणी सभा के महासचिव पवन मैठाणी ने साहित्यिक संगोष्ठी की सराहना की और भविष्य में सहयोग का आश्वासन दिया।
सभी पाठकों से निवेदन है कि वे इन रचनाओं को पढ़ने का अवसर न चुकें। अधिक जानकारी और अपडेट के लिए कृपया हमारी वेबसाइट pwcnews.com पर अवश्य जाएं।
सादर,
टीम PWC News (स्नेहा कुमारी)
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