पंचायत चुनाव पर संशय बरकरार, हाईकोर्ट में अब कल को होगी सुनवाई
नैनीताल, खबर संसार। पंचायत चुनाव पर संशय बरकरार, हाईकोर्ट में अब कल को होगी सुनवाई जी, हां हाई कोर्ट ने राज्य के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर के विरुद्ध दायर विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार की दलीलों से सहमत होते याचिकर्ताओं से आरक्षण के गलत निर्धारण से संबंधित […] The post पंचायत चुनाव पर संशय बरकरार, हाईकोर्ट में अब कल को होगी सुनवाई appeared first on Khabar Sansar News.

पंचायत चुनाव पर संशय बरकरार, हाईकोर्ट में अब कल को होगी सुनवाई
नैनीताल, खबर संसार। हाल ही में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर उठे मामलों ने प्रदेश के政治 नैतिकता को सवालों के घेरे में ला दिया है। हाई कोर्ट द्वारा राज्य के 12 जिलों में पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर के विरुद्ध दायर याचिकाओं की सुनवाई कल निर्धारित की गई है। इस सुनवाई में कोर्ट ने सरकार की प्रस्तुतियों से सहमति व्यक्त की, लेकिन याचिकाकर्ताओं से आरक्षण के सही निर्धारण के संबंध में स्पष्टता पेश करने की मांग की है। इस बीच, चुनाव प्रक्रिया पर रोक बरकरार है और अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।
सुनवाई का संदर्भ
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में गुरुवार को यह सुनवाई हुई। महाधिवक्ता एसएल बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने सरकार की ओर से बहस करते हुए कहा कि पिछड़ा वर्ग समर्पित आयोग की रिपोर्ट के बाद पुराने आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करना एकमात्र विकल्प था। दाखिल की गई याचिकाओं में यह भी बताया गया है कि 9 जून को जारी नियमावली के बारे में कोई गजट नोटिफिकेशन नहीं दिया गया था, जिससे चुनाव प्रक्रिया के स्थगन की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
सरकार का पक्ष
सरकार ने चुनाव प्रक्रिया पर लगे रोक को हटाने का अनुरोध किया है। आरोपी पक्ष का कहना है कि शुरू की गई प्रक्रिया नियम विरुद्ध नहीं है। बागेश्वर जिले के गणेश कांडपाल और अन्य ने याचिकाएं दायर की हैं, जिसमें राज्य द्वारा 9 और 11 जून को जारी नियमावली को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार का यह निर्णय कोर्ट के पूर्व आदेशों के विरुद्ध है और इसकी संवैधानिकता पर प्रश्नचिन्ह है।
चुनाव को लेकर चिंताएं
चुनाव प्रक्रिया पर रोक के साथ, यह सवाल उठने लगा है कि सरकार को गजट नोटिफिकेशन से पहले दी गई जानकारी का पालन क्यों नहीं किया गया? एक आधिकारिक गलती के कारण पूरा चुनाव प्रक्रिया संकट में है, जिसने आम जनता और राजनीतिक पार्टियों के बीच एक बड़ी निराशा व्यवहार की। समय पर निर्णय न होने की स्थिति में, पंचायत चुनावों में देरी होना आम बात है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करेगा।
आगे का रास्ता
राजनीतिक विश्लेषकों ने महसूस किया है कि उचित तरीके से आरक्षण के निर्धारित प्रक्रिया का पालन होना अनिवार्य है। यदि सही समय पर इस पर निर्णय नहीं लिया गया, तो प्रदेश में चुनावी अनिश्चितता बढ़ सकती है, जिससे विधायकों पर आरोप-प्रत्यारोप हो सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट के निर्णय के बाद सरकार और संबंधित पक्ष किस दिशा में बढ़ते हैं।
जैसे-जैसे सुनवाई की तारीख पास आ रही है, लोगों के मन में आशंकाएं बढ़ रही हैं। निर्वाचन आयोग को स्पष्ट दिशा-निर्देशों की आवश्यकता है ताकि चुनाव प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाया जा सके।
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