चम्पावत: अनामिका बिष्ट ने साउथ एशियन कराटे चैंपियनशिप में जीता सिल्वर मेडल
चम्पावत। लोहाघाट निवासी कराटे खिलाड़ी अनामिका बिष्ट ने 9वें श्रीलंका में आयोजित साउथ एशियन कराटे चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल प्राप्त

चम्पावत: अनामिका बिष्ट ने साउथ एशियन कराटे चैंपियनशिप में जीता सिल्वर मेडल
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चम्पावत। लोहाघाट की प्रतिभाशाली कराटे खिलाड़ी अनामिका बिष्ट ने श्रीलंका में आयोजित 9वें साउथ एशियन कराटे चैंपियनशिप में अपनी मेहनत और लगन के बल पर सिल्वर मेडल हासिल किया है। यह प्रतियोगिता 3 जुलाई से 7 जुलाई तक कोलंबो में आयोजित की गई थी। भारतीय कराटे टीम का साथ देते हुए अनामिका ने अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
प्रतियोगिता का महत्व
साउथ एशियन कराटे चैंपियनशिप, एशिया की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता है, जिसमें विभिन्न देशों के खिलाड़ियों का समागम होता है। यह चैंपियनशिप न केवल खिलाड़ियों की प्रतिस्पर्धा को प्रोतिाहित करती है, बल्कि एशिया में कराटे के स्तर को भी ऊँचा उठाने के लिए एक मंच प्रदान करती है। इस वर्ष, भारत के अलावा, श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान और भूटान जैसे देशों ने भी हिस्सा लिया।
अनामिका का सफर
अनामिका बिष्ट के कोच दीपक अधिकारी का कहना है कि उन्होंने अपने जन्मदिन पर इस मेडल को जीतकर उन्हें विशेष तोहफा दिया है। उन्होंने कहा, "अनामिका ने अपनी मेहनत और समर्पण से यह मेडल जीता है। यह उसके कड़ी मेहनत का परिणाम है और हम सभी को उस पर गर्व है।"
अनामिका का कराटे की दुनिया में पहला कदम तब रखा जब वह 8 साल की उम्र में अपने पहले कराटे क्लास में दाखिला ली। तब से लेकर आज तक उन्होंने अपने कौशल में निरंतर सुधार किया है। उनका मूल मंत्र है "एकाग्रता और कड़ी मेहनत," जिसने उन्हें इस सफल स्थिति तक पहुँचाया है।
सामाजिक प्रतिक्रिया
अनामिका की इस सफ़लता ने ना केवल उसके परिवार को गर्वित किया है, बल्कि लोहाघाट के सभी कराटे प्रेमियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है। स्थानीय समुदाय ने उनके इस उपलब्धि का जश्न मनाया और भविष्य में नये प्रतिभाओं की पहचान करने का भी वचन दिया है।
भविष्य की योजना
अनामिका अगले खेलों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अपने खेल में सुधार के लिए उन्हें निरंतर मेहनत करनी होगी। उनका सपना है कि वे विश्व स्तर पर अपने देश का नाम रोशन करें।
निष्कर्ष
अनामिका बिष्ट की इस उपलब्धि ने हमें प्रेरित किया है। कराटे के प्रति उनके प्यार और समर्पण ने उन्हें सफलता के नए आयामों तक पहुँचाया है। सभी की उम्मीद है कि वे आगे भी इसी प्रकार की सफलताएँ प्राप्त करती रहेंगी।
कम शब्दों में कहें तो, अनामिका बिष्ट ने अपने मेहनत और परिश्रम से एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। उनकी कहानी सभी युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी रहेगी। अधिक जानकारी के लिए, यहाँ क्लिक करें.
साइन ऑफ: टीम PWC News - साक्षी शर्मा
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