चौबट्टाखाल क्षेत्र में गुलदारों का आतंक: ग्रामीणों की मुख्यमंत्री से कड़े कदम उठाने की मांग
पौड़ी: पौड़ी गढ़वाल के चौबट्टाखाल क्षेत्र में लगातार बढ़ रही गुलदार की घटनाओं से दहशतजदा ग्रामीणों ने अब शासन-प्रशासन से कड़े कदम उठाने की मांग की है। चौबट्टाखाल तहसील के पोखड़ा क्षेत्र के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री और वन मंत्री को संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी के माध्यम से भेजकर अपनी समस्याएं और मांगें रखीं। ग्रामीणों का कहना […] The post चौबट्टाखाल क्षेत्र में गुलदार के खौफ से दहशत में ग्रामीण, आक्रोशित ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन, कड़े कदम उठाने की मांग appeared first on Devbhoomisamvad.com.

चौबट्टाखाल क्षेत्र में गुलदारों का आतंक: ग्रामीणों की मुख्यमंत्री से कड़े कदम उठाने की मांग
पौड़ी: पौड़ी गढ़वाल के चौबट्टाखाल क्षेत्र में पिछले कुछ समय से गुलदार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे स्थानीय ग्रामीणों में दहशत फैल गई है। इस डर के चलते, ग्रामीणों ने शासन और प्रशासन से कड़े कदम उठाने की मांग की है। चौबट्टाखाल तहसील के पोखड़ा क्षेत्र के निवासियों ने मुख्यमंत्री और वन मंत्री को संबोधित एक ज्ञापन उपजिलाधिकारी के माध्यम से भेजकर अपनी समस्याएं और मांगें रखीं।
कम शब्दों में कहें तो, गुलदारों की बढ़ती गतिविधियों से परेशान ग्रामीण अब सीधे मुख्यमंत्री से समाधान चाहते हैं। उनकी मांगों में गांवों के आसपास के क्षेत्रों को गुलदार मुक्त बनाना प्रमुख है।
ग्रामीणों की चिंताएं और मांगें
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि गुलदारों का आतंक गांवों के आसपास बढ़ रहा है, जिससे वे खेतों और रास्तों पर जाने से डरने लगे हैं। उनके अनुसार, गाँवों से सटे 100 मीटर क्षेत्र को गुलदार मुक्त बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए घास-फूस, जंगली झाड़ियाँ और अनावश्यक पेड़-पौधों की सफाई की जाए। इसके अलावा, मुख्य मार्गों और विद्यालयों के आसपास की झाड़ियों की नियमित सफाई करनी होगी।
कांग्रेस प्रदेश सचिव कविंद्र ईष्टवाल ने वन विभाग के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि हाल ही में पकड़े गए गुलदार के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि वही गुलदार फिर से दिखा है। इससे ग्रामीणों में असंतोष और बढ़ता जा रहा है।
उपाय और सुझाव
ईष्टवाल ने कहा कि वन विभाग को तुरंत प्रभाव से वास्तविक स्थिति का खुलासा करना चाहिए और गुलदारों को पकड़ने या नियंत्रित करने के लिए ठोस आदेश जारी करने चाहिए। इसके अलावा, संवेदनशील क्षेत्रों में ट्रैप-कैमरे लगाने की भी सलाह दी गई है ताकि गुलदार की गतिविधियों का सही डेटा मिल सके।
ज्ञापन में यह मांग की गई है कि संवेदनशील गांवों में प्राथमिकता के आधार पर जालीनुमा बाड़ लगाई जाए और सुरक्षा चाहने वाले ग्रामीणों को बंदूक का लाइसेंस दिया जाए। जंगलों में वन्यजीवों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था करने की भी आवश्यकता है ताकि वे रिहायशी इलाकों की ओर न आएं।
सुरक्षा उपायों की आवश्यकता
ग्रामीणों ने यह भी सुझाव दिया कि बाघ और गुलदार की गिनती कराई जाए और उनके गतिविधियों की निगरानी के लिए कॉलर आईडी लगाई जाए। इसके अलावा, जानवरों की संख्या के अनुसार गाँवों के आसपास पर्याप्त पिंजरे लगाने और वन विभाग द्वारा नियमित गश्त करने की आवश्यकता है। अवैध शिकार को रोकने के लिए पेट्रोलिंग टीम गठित करने की भी मांग की गई है।
उनका कहना है कि यदि कोई व्यक्ति जानवरों के हमले में मारा जाता है, तो उसके परिवार को 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही, घायलों को भी उचित मुआवजा दिया जाए।
आधुनिक तकनीक का सहारा
ग्रामीणों ने आधुनिक तकनीक का सहारा लेने की सिफारिश की है। उनकी मांग है कि एआई आधारित चेतावनी प्रणाली, सेंसर और कैमरों का इस्तेमाल किया जाए ताकि समय रहते गुलदार की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
ग्रामीणों का यह मानना है कि अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो गुलदारों का आतंक जनजीवन को और अधिक असुरक्षित बना देगा।
इस स्थिति को लेकर गंभीरता जरूरी है ताकि आम जीवन प्रभावित न हो और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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जगमोहन डांगी
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