तालिबान और अमेरिका के बीच बगराम एयरबेस पर बढ़ता टकराव: जानें पूरी कहानी
दुनिया में पहले से ही कई विवाद चल रहे हैं और अब अफगानिस्तान का मामला फिर सुर्खियों में है। दरअसल, अमेरिका और तालिबान के बीच बगराम एयरबेस को लेकर नया टकराव सामने आया है। यह विवाद पुराना है, लेकिन हाल ही में अमेरिका की गतिविधियों ने तालिबान को नाराज़ कर दिया है। तालिबान ने साफ […] The post बगराम एयरबेस पर कौन करेगा कब्ज़ा? तालिबान-अमेरिका टकराव गहराया appeared first on Khabar Sansar News.

बगराम एयरबेस पर कब्ज़े का सवाल: तालिबान और अमेरिका के बीच नई उठापटक
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कम शब्दों में कहें तो, अफगानिस्तान में बगराम एयरबेस को लेकर तालिबान और अमेरिका के बीच एक नया टकराव उभर कर सामने आया है। यह मामला पिछले कुछ समय से सुर्खियों में बना हुआ है और इसकी जड़ें ऐतिहासिक हैं। अब जानिए इस विवाद की मूल बातें और इसके संभावित परिणाम।
तालिबान का अमेरिका पर तीखा आरोप
दुनिया में पहले से ही कई विवाद चल रहे हैं और अब अफगानिस्तान का मामला फिर से नए सिरे से चर्चा का विषय बन गया है। अमेरिका और तालिबान के बीच बगराम एयरबेस को लेकर नया टकराव सामने आया है। यह विवाद पुराना है, लेकिन हालिया घटनाओं ने तालिबान को नाराज़ कर दिया है। तालिबान ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वे अपने देश की संप्रभुता पर किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे, खासकर अमेरिका से।
डोनाल्ड ट्रंप के बयानों पर तालिबान की प्रतिक्रिया
डोनाल्ड ट्रंप के बयानों पर तालिबान ने यहाव कहा कि उनकी विदेश नीति संतुलित और आर्थिक सहयोग पर केंद्रित है। हालांकि, वे अपनी जमीन का एक इंच भी किसी को नहीं देने का आश्वासन देते हैं। तालिबान ने अमेरिका को यह याद दिलाते हुए कहा कि दोहा समझौते के तहत वाशिंगटन ने अफगानिस्तान की राजनीतिक स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने का वादा किया था। यदि अमेरिका निवेश, कृषि और व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहयोग चाहता है, तो उनका स्वागत है, लेकिन किसी भी प्रकार की “लालची महत्वाकांक्षा” से उन्हें इतिहास से सबक लेना होगा।
बगराम एयरबेस का महत्व
बगराम एयरबेस, जो परवान प्रांत में स्थित है, अफगानिस्तान का सबसे बड़ा और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हवाई अड्डा है। यह काबुल, कंधार और बामियान जैसे प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। 1950 के दशक में इसे सोवियत संघ ने बनाया था और बाद में यह सोवियत-अफगान युद्ध और अमेरिकी कब्जे के दौरान महत्वपूर्ण रहा। 2001 में अमेरिका ने तालिबान शासन को हटाने के बाद इस एयरबेस पर नियंत्रण प्राप्त किया और इसे एक विशाल सैन्य ठिकाने में बदल दिया।
बगराम एयरबेस को ग्वांतानामो बे जैसा यातना केंद्र समझा जाता था जहाँ कैदियों को रखा जाता था। यह स्थान न केवल अमेरिकी सेना के लिए रणनीतिक महत्व रखता है, बल्कि बौद्धिक और भौगोलिक महत्व भी दर्शाता है।
पाकिस्तान की भूमिका और कूटनीतिक संकट
अमेरिका-तालिबान के इस तनाव का सबसे अधिक लाभ पाकिस्तान को हो सकता है। अमेरिका अफगानिस्तान पर दबाव बनाने के लिए पाकिस्तानी जमीन का उपयोग कर सकता है, जिससे इस्लामाबाद को सामरिक महत्व प्राप्त होगा। लेकिन यह स्थिति चीन की नाराज़गी को भी जन्म दे सकती है, जो पहले से ही इस मामले में अपनी चिंताओं को व्यक्त कर चुका है।
संक्षेप में कहें तो, बगराम एयरबेस का मामला न केवल अमेरिका और तालिबान के लिए, बल्कि सम्पूर्ण क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ बन सकता है। दोनों पक्षों के बीच टकराव के परिणाम गंभीर हो सकते हैं और उनके फैसले से आने वाले दिनों में वैश्विक राजनीति में परिवर्तन आ सकता है।
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सादर, टीम PWC News
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