चम्पावत : तीन किमी पैदल चढ़ाई चढ़ कर डोली से सड़क तक पहुंचाया जा सका शिक्षक का शव
कोटकेंद्री राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक कुंदन सिंह बोहरा की तबीयत बिगड़ने से हुई मौत, पूर्णागिरि धाम क्षेत्र के

चम्पावत : तीन किमी पैदल चढ़ाई चढ़ कर डोली से सड़क तक पहुंचाया जा सका शिक्षक का शव
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कोटकेंद्री राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक कुंदन सिंह बोहरा की तबीयत बिगड़ने से हुई मौत, पूर्णागिरि धाम क्षेत्र के नजदीक का गांव कोटकेंद्री आज भी सड़क सुविधा से वंचित है। इस घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ और सड़क परिवहन कितनी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।
प्राकृतिक कठिनाइयाँ और सीमित संसाधन
चम्पावत जिले के कोटकेंद्री गाँव में सरकारी शिक्षक कुंदन सिंह बोहरा की बीमारी के चलते मृत्यु हुई। उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद स्थानीय लोग उनकी मदद के लिए जुट गए, किंतु सड़क की कमी के कारण शव को अस्पताल पहुँचाना संभव नहीं हो सका। शिक्षकों की भूमिका को देखते हुए, यह घटना एक दुखद उदाहरण है कि कैसे भौगोलिक बाधाएँ जीवन और मृत्यु पर प्रभाव डाल सकती हैं।
शिक्षक की करीबी समुदाय के प्रति जिम्मेदारी
कुंदन सिंह बोहरा को स्थानीय लोगों ने बहुत सम्मान और स्नेह दिया था। वह हमेशा अपने छात्रों के भविष्य के लिए समर्पित रहे, लेकिन उनकी असामयिक मृत्यु ने पूरे गाँव में शोक का माहौल बनाया। उनकी शिक्षण शैली और समुदायिक सेवाएँ उन्हें गाँव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती थीं। यह यथार्थता हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अभी भी अपने शिक्षकों का सम्मान ही नहीं कर पा रहे हैं?
समुदाय का सहयोग
गांववालों ने बोहरा का शव सड़क तक पहुँचाने के लिए तीन किलोमीटर पैदल यात्रा की। यह यात्रा न केवल शारीरिक चुनौती थी, बल्कि सामूहिक भावना और एकता का भी प्रतीक थी। कई लोग इस कठिनाई में मदद के लिए आगे आए, और आखिरकार डोली में उन्हें सामुदायिक समर्थन के साथ सड़क तक पहुँचाया गया। यह दृश्य उनकी शिक्षकीय उच्चता और सामूहिक भावना को भी दर्शाता है।
निष्कर्ष
इस दुखद घटना ने हमें यह याद दिलाया है कि पहाड़ी क्षेत्रों में न केवल शिक्षा बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं की तात्कालिक आवश्यकता है। संगठनों और सरकारों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि आने वाले समय में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके। हम उम्मीद करते हैं कि कुंदन सिंह बोहरा की तरह देश में सभी शिक्षकों का हर संभव सम्मान किया जाए। चम्पावत की यह घटना हमें प्रयास करने की प्रेरणा देती है कि हम अपने समुदाय और विशेषकर शिक्षकों की सहायता कैसे कर सकते हैं।
समाज में बदलाव लाने के लिए स्थानीय सरकार और शिक्षा विभाग को मिलकर काम करना होगा, ताकि हर व्यक्ति को सड़कों और चिकित्सा सुविधाओं तक पहुँचा जा सके।
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