राजकोषीय घाटे, पब्लिक एक्सपेंडिचर और सोशल सिक्योरिटी सिस्टम पर बजट का क्या होगा रुख? जानिए यहां
प्राप्तियों तथा व्यय के उपरोक्त अनुमानों के साथ, राजकोषीय घाटा 2024-25 के बजट अनुमान में करीब 16.13 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद का 4.9 प्रतिशत आंका गया है।
राजकोषीय घाटे, पब्लिक एक्सपेंडिचर और सोशल सिक्योरिटी सिस्टम पर बजट का क्या होगा रुख?
बजट निर्धारण का समय फिर से हमारे सामने है, और इस वर्ष का बजट विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। राजकोषीय घाटे, पब्लिक एक्सपेंडिचर और सोशल सिक्योरिटी सिस्टम जैसे प्रमुख मुद्दों पर सरकार का रुख इस बजट में स्पष्ट होगा। आइए जानते हैं कि इस बार बजट में क्या-क्या नई योजनाएँ और नीतियाँ प्रस्तावित की जा सकती हैं।
राजकोषीय घाटा और उसका प्रभाव
राजकोषीय घाटा उन खर्चों का अंतर है जो सरकार अपनी आय से करती है। जब सरकार अधिक खर्च करती है और कम राजस्व जुटाती है, तो इसका नकारात्मक प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। इस बजट में राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने के उपायों की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए संतुलन बनाने की आवश्यकता होगी।
पब्लिक एक्सपेंडिचर की चुनौतियाँ
पब्लिक एक्सपेंडिचर का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ प्रस्तुत करना है। इस बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढाँचे पर गंभीर ध्यान दिए जाने की उम्मीद है। हालांकि, पब्लिक एक्सपेंडिचर बढ़ाने से राजकोषीय घाटा भी बढ़ सकता है। इस संबंध में, सरकार को रणनीतिक प्राथमिकताएँ तय करनी होंगी।
सोशल सिक्योरिटी सिस्टम में सुधार की आवश्यकता
सोशल सिक्योरिटी सिस्टम का उद्देश्य आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। विशेष रूप से कमजोर वर्गों के लिए, इसे मजबूत बनाने की आवश्यकता है। बजट में नई सुविधाओं का प्रस्ताव हो सकता है जिससे लोगों को बेहतर सामाजिक सुरक्षा मिल सके। इस दिशा में उठाए गए कदम महत्वपूर्ण होंगे।
इसी प्रकार, आशा है कि इस बजट में उपयुक्त नीतियों का समावेश होगा जो हमारी अर्थव्यवस्था को स्थिर रख सके। जनता को सरकार की योजनाओं का सही तरीके से लाभ मिल सके, इसके लिए सभी वर्गों का ध्यान रखना आवश्यक है।
निर्धारित होने वाला यह बजट न केवल वर्तमान स्थिति को सुधारेगा बल्कि भविष्य की दिशा भी निर्धारित करेगा।
News By PWCNews.com
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