अशोक कुमार मिश्रा (उत्तराखंड आबकारी अधिकारी) पर झूठे आरोप: विजिलेंस हल्द्वानी की कार्रवाई पर उठते गंभीर प्रश्न

विजिलेंस हल्द्वानी द्वारा उधम सिंह नगर के जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा पर लगाए गए रिश्वत के आरोपों ने एक नया विवाद उत्पन्न कर दिया है। मिश्रा का आरोप है कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है। ट्रैप ऑपरेशन के दौरान वीडियोग्राफी और स्वतंत्र गवाहों की अनुपस्थिति ने इस कार्रवाई की वैधता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग के बीच, सतर्कता विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

Oct 16, 2024 - 22:42
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अशोक कुमार मिश्रा (उत्तराखंड आबकारी अधिकारी) पर झूठे आरोप: विजिलेंस हल्द्वानी की कार्रवाई पर उठते गंभीर प्रश्न
अशोक कुमार मिश्रा (उत्तराखंड आबकारी अधिकारी) पर झूठे आरोप: विजिलेंस हल्द्वानी की कार्रवाई पर उठते गंभीर प्रश्न

उधम सिंह नगर के जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा पर विजिलेंस हल्द्वानी की हालिया कार्रवाई ने गंभीर सवाल उठाए हैं। मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने एक शराब ठेकेदार से रिश्वत मांगी, लेकिन वह और उनके समर्थक इसे एक सुनियोजित साजिश करार दे रहे हैं। इस मामले ने पूरे उत्तराखंड प्रशासनिक ढांचे और कानूनी प्रक्रियाओं को हिला दिया है।

मामले की जड़: झूठे आरोपों का दावा

विवाद की शुरुआत 2023-24 के शराब ठेकों से जुड़ी है, जिनमें ठेकेदार चौधरी सुदेश पाल सिंह का नाम सामने आया। सिंह के ठेकों में से एक का नवीनीकरण नहीं हो पाया, जिसके चलते उन पर सरकारी बकाया राशि थी। अशोक कुमार मिश्रा ने ठेकेदार को स्पष्ट रूप से सूचित किया था कि जब तक बकाया राशि का भुगतान नहीं होता, रीफिलिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके बावजूद, ठेकेदार ने विजिलेंस में रिश्वत की शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर ट्रैप ऑपरेशन किया गया।

ट्रैप ऑपरेशन: कानूनी खामियां

विजिलेंस हल्द्वानी द्वारा किए गए इस ट्रैप ऑपरेशन में कई गंभीर कानूनी खामियां उजागर हो रही हैं। BNSS 2023 की धारा 105 के अनुसार ट्रैप ऑपरेशन में वीडियोग्राफी अनिवार्य है, लेकिन इस मामले में केवल फोटो साक्ष्य प्रस्तुत किए गए। स्वतंत्र गवाहों की अनुपस्थिति और बरामदगी की प्रक्रिया को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि रिश्वत की राशि मिश्रा के हाथ में नहीं, बल्कि उनकी टेबल की दराज में मिली।

मिश्रा की स्वास्थ्य स्थिति और निष्पक्ष जांच की मांग

मिश्रा को किडनी और लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है और वह इंसुलिन पर हैं, जिससे उनके खिलाफ की गई कार्रवाई और भी विवादित बन गई है। उनके समर्थक यह तर्क दे रहे हैं कि यह मामला एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है। निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग के साथ, विजिलेंस हल्द्वानी की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

निष्कर्ष

यह मामला सिर्फ रिश्वत के आरोपों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कई कानूनी और प्रशासनिक मुद्दे जुड़े हुए हैं। सवाल यह है कि क्या यह एक साजिश है या फिर विजिलेंस के पास पुख्ता सबूत हैं। सत्य की जीत होगी या नहीं, यह समय के साथ स्पष्ट होगा।

(यह रिपोर्ट केवल सूचना देने के उद्देश्य से है, किसी पक्ष का समर्थन या विरोध नहीं करती।)

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