अब ‘खूनी’ नहीं कहलाएगा पिथौरागढ़ का ये गांव, देवी के नाम से मिली नई पहचान
पिथौरागढ़। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक गांव के नाम से वहां के लोग इतने परेशान हो गए कि

अब ‘खूनी’ नहीं कहलाएगा पिथौरागढ़ का ये गांव, देवी के नाम से मिली नई पहचान
पिथौरागढ़। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक गांव के नाम से वहां के लोग इतने परेशान हो गए कि उन्होंने सरकार से इसका नाम बदलने की ही दरख्वास्त कर दी। सालों चली प्रक्रिया के बाद अब इस गांव का नाम बदल दिया गया है। गांव का नाम बदलने की अधिसूचना से गांव के लोग काफी खुश हैं।
पृष्ठभूमि में उलझाएँ
पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर विकास खंड विण की ग्राम पंचायत का नाम ‘खूनी’ था। यह नाम न केवल गांववाले बल्कि पर्यटकों के लिए भी चिंता का विषय था। गांव के लोग इस नाम से हतोत्साहित थे और इसे अपनी पहचान के लिए नुकसानदायक मानते थे। उल्लेखनीय है कि इस गांव का नाम रखने के पीछे एक ऐतिहासिक घटना का जिक्र है, जिसने इसे ‘खूनी’ नाम दिया था। लेकिन अब यह नाम गांव के लिए एक नया अध्याय खोल रहा है।
नए नाम की शुरुआत
सरकार द्वारा हाल ही में जारी अधिसूचना के अनुसार, 'खूनी' गांव का नया नाम ‘देवी’ रखा गया है। इस नए नाम के साथ, गांववाले पुनः गर्व महसूस कर रहे हैं। देवी का नाम केवल गांव की पहचान नहीं है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और धार्मिक महत्व को भी दर्शाता है। ग्रामीणों का मानना है कि नए नाम के साथ वे अपनी पहचान को सही मायने में स्थापित कर सकते हैं।
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
इस बदलाव पर स्थानीय लोगों की प्रतिक्रियाएं उत्साहजनक रही हैं। गांव के युवक उत्तम ने कहा, "यह हमारे लिए नए अवसरों की शुरुआत है। अब हमें शर्मिंदगी नहीं उठानी पड़ेगी।" महिलाओं ने भी इस बदलाव का स्वागत किया है, जो इस बात को दर्शाता है कि एक नया नाम धारणा के बदलाव में कितना महत्वपूर्ण हो सकता है। यह बदलाव न केवल गांव के भविष्य की दिशा तय करेगा, बल्कि इसके आर्थिक विकास में भी सहायता करेगा।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
पिथौरागढ़ का यह गांव प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर से भरा हुआ है। देवी के नामकरण से स्थानीय देवताओं की भक्ति और संस्कृति को और भी बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन और अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से यह नाम बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा, जिससे नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि नए नाम के साथ, लोग गांव में और अधिक यात्रा करेंगे, जिसे स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
निष्कर्ष
गांव के नाम में परिवर्तन केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि यह उस समुदाय की आत्मा और पहचान को पुनर्स्थापित करने की एक प्रक्रिया है। अब जब यह ‘खूनी’ नहीं बल्कि ‘देवी’ के नाम से जाना जाएगा, तो उम्मीद है कि यह गांव नई ऊंचाइयों को छू सकेगा। स्थानीय लोगों के लिए यह केवल कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि उनका आत्म सम्मान भी है।
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लेखक: सुषमा शर्मा, प्रिया गुप्ता, और ज्योति मेहता, टीम pwcnews।
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