इस साल FPI पड़े सुस्त, कम आया निवेश, 2025 के लिए क्या हैं संकेत?
वर्ष 2024 में जनवरी, अप्रैल, मई, अक्टूबर और नवंबर महीनों में एफपीआई बिकवाल रहे। 2024 में एफपीआई प्रवाह में भारी गिरावट वैश्विक तथा घरेलू कारकों के कारण हुई।
इस साल FPI पड़े सुस्त, कम आया निवेश
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2023 में FPI का हाल
इस वर्ष, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में बड़ा गिरावट देखी गई है। कई कारणों से FPI निवेश में स्पष्ट कमी आई है, जिसमें वैश्विक आर्थिक चुनौतियाँ, राजनीतिक अनिश्चितता, और बाजार के प्रति निवेशकों का आकर्षण कम होना शामिल है। यह स्थिति भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए चिंताग्रस्त करने वाली है जहां पर विदेशी निवेशकों की भागीदारी महत्वपूर्ण होती है।
कम निवेश के कारण
वर्तमान में, कई विदेशी संस्थागत निवेशक विभिन्न बाजारों में अधिक सुरक्षित और स्थिर विकल्पों को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसमें शामिल हैं:
- बढ़ती हुई ब्याज दरें
- अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मंदी
- स्थानीय बाजार में अस्थिरता
2025 के लिए संकेत
हालांकि, 2025 के लिए कुछ सकारात्मक संकेत भी देखने को मिल रहे हैं। सरकार की बुनियादी ढाँचे में निवेश नीति, डिजिटल इंडिया पहल, और स्थायी विकास के लिए योजनाएँ लंबे समय में विदेशी या FPI निवेश को आकर्षित कर सकती हैं। अगर ये पहल सफल होती हैं, तो मार्केट में सुधार की संभावना बढ़ सकती है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, FPI के सुस्त होने का प्रभाव न केवल बाजार पर है, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था का भी हिस्सा है। इसलिए, सभी stakeholders को इस स्थिति का गंभीरता से अवलोकन करना चाहिए।
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