चम्पावत: ठेकेदारों का लोनिवि परिसर में प्रदर्शन, नई टेंडर नीति का विरोध
चम्पावत। नई टेंडर नियमावली से गुस्साए राजकीय ठेकेदारों ने आज गुरुवार 28 अगस्त को लोक निर्माण विभाग परिसर में धरना

चम्पावत: ठेकेदारों का लोनिवि परिसर में प्रदर्शन, नई टेंडर नीति का विरोध
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कम शब्दों में कहें तो
राजकीय ठेकेदारों ने नई टेंडर नीति के विरोध में 28 अगस्त को चम्पावत के लोक निर्माण विभाग परिसर में धरना दिया। उनकी मांग है कि सरकार इस नीति को वापस ले।
परिचय
चम्पावत। नई टेंडर नीति से आक्रोशित राजकीय ठेकेदारों ने 28 अगस्त को लोक निर्माण विभाग परिसर के बाहर धारणा प्रदर्शन किया। ठेकेदारों ने सरकार से इसके फैसले को शीघ्र वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो वे किसी भी टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे और निर्माण कार्य भी नहीं करवाएंगे। यह स्थिति ठेकेदारों के लिए और अधिक परेशानी खड़ी कर सकती है।
नई टेंडर नीति का पृष्ठभूमि
नई टेंडर नीति के तहत कई नए नियम व शर्तें लागू की गई है जो ठेकेदारों के लिए आर्थिक संकट का कारण बन सकती हैं। ठेकेदारों का कहना है कि ये नियम पारदर्शिता का अभाव पैदा कर सकते हैं। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी, बल्कि यह सरकारी परियोजनाओं में भी अव्यवस्था ला सकता है। इसका असर निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर भी पड़ेगा।
ठेकेदारों की चिंताएँ
धरना प्रदर्शन में शामिल ठेकेदारों ने बताया कि नई नीति के अंतर्गत टेंडर प्रक्रिया में भेदभाव देखा जा रहा है। समय पर भुगतान न मिलने की समस्याएं भी उनके वित्तीय स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही हैं। ठेकेदारों ने एक स्वर में कहा कि सरकार को इस नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए और उन्हें भी इसमें शामिल करके आवश्यक बदलाव करने चाहिए। ऐसा नहीं करने की स्थिति में वे अपने तरीके से इस मुद्दे का हल खोजने पर मजबूर होंगे।
सरकार का जवाब
विभागीय अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि वे ठेकेदारों की चिंताओं को गंभीरता से लेंगे और इस मुद्दे पर शीघ्र ही बैठक का आयोजन किया जाएगा। हालांकि, अभी तक इस संबंध में सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं और ठेकेदारों की आवाज़ सुनने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
इन ठेकेदारों का प्रदर्शन उनके अधिकारों की रक्षा करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सरकार के लिए एक सुनहरा अवसर है कि वे ठेकेदारों की समस्याओं का ठीक तरह से समाधान करें। इससे न केवल ठेकेदारों की स्थिति बेहतर होगी, बल्कि इसका सकारात्मक प्रभाव सरकारी परियोजनाओं की गुणवत्ता पर भी पड़ेगा। यदि सरकार तुरंत कार्रवाई नहीं करती है, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
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Written by: स्नेहा कुमारी, Team PWC News
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