चम्पावत: पीएम श्री अटल उत्कृष्ट जीआईसी में छात्रों ने सीखा मशरूम उत्पादन और मडुवे के मोमो बनाने की कला
चम्पावत। पीएम श्री अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कॉलेज चम्पावत में विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने और नवाचार को बढ़ावा देने के

चम्पावत: पीएम श्री अटल उत्कृष्ट जीआईसी में छात्रों ने सीखा मशरूम उत्पादन और मडुवे के मोमो बनाने की कला
चम्पावत। पीएम श्री अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कॉलेज चम्पावत में विद्यार्थियों को आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित करने और नवाचार को प्रमोट करने के मकसद से एक विशेष व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अनोखे कार्यक्रम के तहत छात्रों को मशरूम उत्पादन और मडुवे के मोमो बनाने की कला सिखाई गई। इस सत्र का संचालन हिमगिरि नेचुरल ने किया और इसे प्रधानाचार्य उमेद सिंह बिष्ट के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।
मशरूम उत्पादन का महत्व
आज की स्थिति में, जब रोजगार की समस्या और आत्मनिर्भरता की आवश्यकता अधिकतम हो गई है, मशरूम उत्पादन एक महत्वपूर्ण कौशल बन चुका है। यह केवल एक सामान्य खाद्य वस्तु नहीं है, बल्कि यह व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी बेहद लाभकारी हो सकता है। चम्पावत के विद्यार्थियों को मशरूम उत्पादन की तकनीक सिखाकर, विद्यालय ने उन्हें भविष्य में आर्थिक रूप से सशक्त बनने का एक अवसर प्रदान किया है। मशरूम न केवल प्रोटीन का भरपूर स्रोत है, बल्कि इसकी खेती जल्दी लाभ देने वाली होती है।
मडुवे के मोमो बनाने की कला
इस प्रशिक्षण में विद्यार्थियों ने केवल मशरूम उत्पादन की तकनीक नहीं सीखी, बल्कि मडुवे के मोमो बनाने की विधि के बारे में भी ज्ञान प्राप्त किया। मडुवे, जो एक पारंपरिक अनाज है, इसे मोमो के रूप में तैयार करके उसकी उपयोगिता को बढ़ावा दिया गया है। मोमो, जो एक लोकप्रिय स्नैक है, उसके स्वाद और स्वास्थ्य दृष्टिकोण दोनों में योगदान होता है। ऐसी गतिविधियाँ विद्यार्थियों को न केवल स्वादिष्ट व्यंजन बनाना सिखाती हैं, बल्कि उन्हें अपने स्थानीय संसाधनों का सही उपयोग करने में भी सहयोग करती हैं।
विद्यालय का प्रयास
प्रधानाचार्य उमेद सिंह बिष्ट ने कहा, "हमारा मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को प्रेरित करना है ताकि वे जीवन में बेहतर कौशल प्राप्त कर सकें।" विद्यालय ने शैक्षणिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक शिक्षा पर भी जोर दिया है, जिससे विद्यार्थी भविष्य में आत्मनिर्भर हो सकें। इस कार्यक्रम से विद्यार्थियों को न केवल तकनीकी कौशल मिला है, बल्कि उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है।
समाप्ति का संदेश
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम विद्यार्थियों की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। ऐसे कार्यक्रम न केवल समाज में नवाचार को बढ़ावा देते हैं, बल्कि पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक तकनीकों के साथ जोड़ते हैं। इस तरह की पहलों से न केवल चम्पावत, बल्कि पूरे देश के युवा सशक्त होंगे। भविष्य में ये कौशल विद्यार्थियों के लिए जीवन में बेहद लाभकारी सिद्ध होंगे।
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