चम्पावत: शिक्षक कुंदन सिंह बोहरा का शव तीन किमी पैदल यात्रा के बाद डोली से सड़क तक पहुंचाया गया

कोटकेंद्री राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक कुंदन सिंह बोहरा की तबीयत बिगड़ने से हुई मौत, पूर्णागिरि धाम क्षेत्र के

Aug 20, 2025 - 18:53
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चम्पावत: शिक्षक कुंदन सिंह बोहरा का शव तीन किमी पैदल यात्रा के बाद डोली से सड़क तक पहुंचाया गया

चम्पावत: शिक्षक कुंदन सिंह बोहरा का शव तीन किमी पैदल यात्रा के बाद डोली से सड़क तक पहुंचाया गया

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कम शब्दों में कहें तो, कोटकेंद्री राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक कुंदन सिंह बोहरा की तबीयत खराब होने के बाद दुखद मौत हो गई, जिसके चलते ग्रामीणों ने उन्हें सड़क तक पहुँचाने के लिए कठिनाई का सामना किया। यह घटना पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को उजागर करती है।

हाल ही में चम्पावत जिले के कोटकेंद्री गाँव में शिक्षक कुंदन सिंह बोहरा की तबीयत बिगड़ने से उनकी मौत हो गई। पूर्णागिरि धाम क्षेत्र के निकट स्थित इस गाँव में आज भी सड़क परिवहन की सुविधाएँ नहीं हैं। अपनी बीमारी का सामना करते हुए शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका से यह घटना यह दर्शाती है कि कैसे भौगोलिक चुनौतियाँ मानव जीवन को प्रभावित कर सकती हैं।

भौगोलिक समस्याएँ और संसाधनों की कमी

कुंदन सिंह बोहरा की बीमारी के बाद जब हालत खराब हुई, तो गाँव वालों ने उनकी मदद करने की कोशिश की, लेकिन सीमित सड़क सुविधाओं के कारण शव को समय पर अस्पताल नहीं पहुँचाया जा सका। यह घटना उस गंभीरता को दर्शाती है जिससे अनेक लोग पहाड़ी क्षेत्रों में गुजरते हैं, जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ परिवहन भी एक बड़ी चुनौती बन जाता है। इस प्रकार की घटनाएँ इसे पुष्टि करती हैं कि हमें mountainous areas में बुनियादी सुविधाओं की कितनी आवश्यकता है।

शिक्षक की स्थानीय समुदाय के प्रति जिम्मेदारी

कुंदन सिंह बोहरा को ग्रामीण समुदाय द्वारा अत्यधिक सम्मान और प्यार मिला था। उनकी समर्पण भरी शिक्षनीय शैली तथा समुदाय के प्रति उनकी सेवाओं ने उन्हें गाँव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया था। उनकी असामयिक मौत ने केवल उनके परिवार को ही प्रभावित नहीं किया बल्कि पूरे गाँव में शोक की लहर दौड़ा दी। यह यथार्थता हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने शिक्षकों के प्रति आभार प्रकट कर पा रहे हैं?

समुदाय का एकता प्रदर्शन

बोहरा का शव सड़क तक पहुंचाने के लिए ग्रामीणों ने तीन किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा की। यह यात्रा केवल शारीरिक कठिनाई का प्रतीक नहीं थी, बल्कि यह सामुदायिक एकता और समर्थन का भी एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती है। इस यात्रा में शामिल लोगों ने एकजुट होकर ऐसा किया, जिससे यह दर्शाता है कि समुदाय की एकता किसी भी मुश्किल हालात का सामना कर सकती है।

निष्कर्ष

यह दुखद घटना हमें यह याद दिलाती है कि पहाड़ी क्षेत्रों में केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य जाँच और सुविधाओं की भी तत्काल आवश्यकता है। संगठनों तथा स्थानीय सरकारों को इस दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके। हमें आशा है कि कुंदन सिंह बोहरा जैसे शिक्षकों का सम्मान सभी जगह बढ़ेगा। चम्पावत की इस घटना से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हम अपने समुदाय, विशेषकर शिक्षकों की सहायता कैसे कर सकते हैं।

समाज के विकास के लिए स्थानीय सरकार और शिक्षा विभाग को मिलकर काम करना होगा ताकि सभी लोगों को सड़कों और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।

इस कठिनाई से सबक लेते हुए, हमें सशक्तीकरण की ओर बढ़ना होगा और एक बेहतर समाज की दिशा में प्रयास करना होगा।

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सादर,

टीम PWC न्यूज़, संगीता शर्मा

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