दीप पाठक के इस्तीफे ने बीजेपी में मचाई हलचल, बिशन सिंह चुफाल और पूरन सिंह फर्त्याल ने की संवाद यात्रा

उत्तराखंड बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष, पूर्व कैबिनेट मंत्री और डीडीहाट विधायक बिशन सिंह चुफ़ाल के...

Aug 25, 2025 - 00:53
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दीप पाठक के इस्तीफे ने बीजेपी में मचाई हलचल, बिशन सिंह चुफाल और पूरन सिंह फर्त्याल ने की संवाद यात्रा

दीप पाठक के इस्तीफे ने बीजेपी में मचाई हलचल, बिशन सिंह चुफाल और पूरन सिंह फर्त्याल ने की संवाद यात्रा

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कम शब्दों में कहें तो, बीजेपी के कार्यकर्ता दीप पाठक के इस्तीफे से पार्टी में चारों ओर हड़कंप मच गया है। उत्तराखंड बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल तथा लोहाघाट के पूर्व विधायक पूरन सिंह फर्त्याल ने उनकी नाराज़गी को दूर करने के लिए चम्पावत पहुंचे।

उन्होंने दीप पाठक से उनके कार्यालय टनकपुर में मुलाकात की, जहां उन्होंने पाठक की भारतीय जनता पार्टी के प्रति निष्ठा की प्रशंसा की और कहा कि उनके द्वारा दिया गया त्यागपत्र उनके लंबे समय की सेवा को देखते हुए पार्टी के लिए एक गंभीर संकेत है। दीप पाठक, जिन्होंने पार्टी के महत्वपूर्ण पदों पर 25 वर्षों तक सेवा की, ने जन भावना और कार्यकर्ताओं की भावनाओं की अनदेखी किए जाने के कारण अपना इस्तीफा दिया है।

बिशन सिंह चुफाल ने इस मुद्दे पर बताया कि, "दीप पाठक जैसे निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी के कारण पार्टी को चिंतित होना चाहिए। उनका संघर्ष पार्टी के लिए कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके इस्तीफे का निर्णय मेरे लिए भी अत्यंत दुखद है। हम जल्द ही उनकी नाराज़गियों को दूर करेंगे।"

आंतरिक संवाद का महत्व

पूरन सिंह फर्त्याल ने इस अवसर पर कहा, "हमें पार्टी को मजबूत करना है, और इसके लिए हमें दीप पाठक जैसे अनुशासित कार्यकर्ताओं का ध्यान रखना होगा। इस तरह के फैसले विचार-विमर्श के बिना नहीं होने चाहिए। हमारी एकजुटता ही आगामी पंचायत चुनाव और 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सफलता की कुंजी है।"

उन्होंने पार्टी की स्थिति को एक परिवार की तरह बताया और कहा कि एकजुटता की आवश्यकता है। पार्टी के नेता उर्मिला चंद, विद्या जुकारिया और हंसा जोशी जैसे अन्य नेता भी इस चर्चा में शामिल रहे और उन्होंने दीप पाठक के प्रति समर्थन व्यक्त किया।

कार्यकर्ताओं की आवाज़ को महत्व देना जरूरी

इस दौरान विद्या जुकारिया और अन्य नेताओं ने कहा कि, "हर कार्यकर्ता का सम्मान होना चाहिए। हमें उनकी भावनाओं को सुनना चाहिए और पार्टी के भीतर एक सकारात्मक संवाद को बनाना चाहिए।" यह समय है जब बीजेपी को अपने अनुशासन और संगठितता को फिर से परिभाषित करने की जरूरत है।

निष्कर्ष

इस बातचीत से यह स्पष्ट है कि बीजेपी में एक गंभीर आंतरिक संकट है, जिसका समाधान करना अत्यंत आवश्यक है। कार्यकर्ताओं की आवाज़ को सुनना और उनके अनुभवों को सम्मान देना पार्टी के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अगर दीप पाठक की स्थिति से सीखे गए सबक को लागू किया जाए, तो बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं के बीच एक बार फिर से मजबूती से उभरेगी।

हमें यह उम्मीद है कि पार्टी नेतृत्व दीप पाठक की चिंताओं को गंभीरता से लेगा और सकारात्मक कदम उठाएगा।

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सादर, टीम PWC न्यूज - सुषमा रावत

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