नहीं रहीं पद्मश्री से सम्मानित वृक्ष माता तुलसी गौड़ा, नंगे पांव पहुंची थीं सम्मान लेने
वृक्ष माता तुलसी गौड़ा हमारे बीच नहीं रहीं। 86 वर्षीय तुलसी गौड़ा का उत्तर कन्नड़ जिले के अंकोल तालुक स्थित उनके गृह गांव हंनाली में उनका निधन हो गया।
नहीं रहीं पद्मश्री से सम्मानित वृक्ष माता तुलसी गौड़ा
रविवार को भारत ने एक विद्वान और संरक्षणकर्ता खो दिया, जब पद्मश्री से सम्मानित वृक्ष माता तुलसी गौड़ा का निधन हो गया। अपने जीवन में उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका निधन समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
अर्थपूर्ण जीवन और कार्य
तुलसी गौड़ा का जीवन वृक्षों और पर्यावरण के प्रति उनके अटूट प्रेम का प्रतीक था। वह न केवल एक साधारण महिला थीं, बल्कि एक असाधारण व्यक्ति थीं जिन्होंने अपने जीवन के कार्यों के माध्यम से हजारों लोगों को प्रेरित किया। उनका सबसे प्रसिद्ध योगदान था, जब वह नंगे पांव सम्मान लेने दिल्ली गई थीं। उनका यह कार्य यह दिखाता है कि वह अपनी जड़ों से कितनी जुड़ी हुई थीं।
पर्यावरण के प्रति समर्पण
वृक्ष माता के नाम से मशहूर तुलसी गौड़ा ने लाखों वृक्षों का रोपण किया और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई लड़े। उनके कार्यों ने कई युवाओं को प्रेरित किया ताकि वे प्रकृति की रक्षा करें और सतत विकास में योगदान दें। उनका जीवन उन सभी के लिए एक उदाहरण है जो पर्यावरण के प्रति समर्पित हैं।
उनके योगदान को नहीं भुलाया जाएगा
तुलसी गौड़ा का निधन केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि समाज के एक महत्वपूर्ण हिस्से का नुकसान है। वह हमेशा हमारे दिलों में एक वृक्ष माता के रूप में जीवित रहेंगी, और उनका योगदान धरोहर के रूप में संदर्भित किया जाएगा। उनके उत्तम कार्यों से प्रेरणा लेकर हमें आगे बढ़ना चाहिए।
उनकी जीवन यात्रा हमें सिखाती है कि हम भी पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं। उनके याद में हम सभी को वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होना होगा।
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