नेपाल में 5 साल में एक बार लगता है गढ़ीमाई मेला, लाखों जानवरों की दी जाती है बलि; जानें क्या है ये खूनी परंपरा

गढ़ीमाई मेला गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक सामूहिक बलि प्रथा के रूप में नाम दर्ज करवा चुका है। मेला लगभग 15 दिन चलता है और इसमें नेपाल और भारत के श्रद्धालुओं का जमावड़ा होता है। प्रत्येक दिन लगभग पांच लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं।

Dec 16, 2024 - 14:53
 55  313.8k
नेपाल में 5 साल में एक बार लगता है गढ़ीमाई मेला, लाखों जानवरों की दी जाती है बलि; जानें क्या है ये खूनी परंपरा

नेपाल में 5 साल में एक बार लगता है गढ़ीमाई मेला

गढ़ीमाई मेला, जो नेपाल में पांच साल में एक बार आयोजित होता है, एक अद्वितीय और विवादास्पद धार्मिक उत्सव है। यह मेला विशेष रूप से मिथिला क्षेत्र के बारा जिले में भरतपुर के पास स्थित गढ़ीमाई मंदिर में आयोजित किया जाता है। इस मेले का मुख्य आकर्षण लाखों जानवरों की बलि है, जो कि स्थानीय देवता गढ़ीमाई को समर्पित की जाती है। यह परंपरा सदियों पुरानी है और इसे अनुयायी गहरा धार्मिक धार्मिक महत्व देते हैं।

गढ़ीमाई मेले का ऐतिहासिक महत्व

इस मेले की शुरुआत हर पांच साल में होती है और इसकी लंबी परंपरा रही है। हर बार जब यह मेला आयोजित होता है, तो हजारों भक्त संपूर्ण नेपाल और उसके बाहर से इकट्ठा होते हैं। भक्तों की मान्यता है कि गढ़ीमाई देवी उन्हें कल्याण और सुरक्षा देती हैं और इसीलिए वे अपनी श्रद्धा के प्रतीक के रूप में बलिदान अर्पित करते हैं। बलि में आमतौर पर बकरी, मुर्गी, और कभी-कभी गाय भी शामिल होती हैं।

क्या है ये खूनी परंपरा?

हालांकि, यह परंपरा आज के समय में काफी विवादास्पद बन गई है। मानवाधिकार संगठनों और पर्यावरण संरक्षण के कार्यकर्ताओं द्वारा इस बलि प्रथा की कड़ी आलोचना की गई है। कुछ लोगों का मानना है कि यह परंपरा पशु क्रूरता और धार्मिक अंधविश्वास का एक उदाहरण है। इसके बावजूद, स्थानीय लोग इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान मानते हैं और इसके लिए तैयारी करते हैं।

समाज में इसकी प्रतिक्रिया

नेपाल में गढ़ीमाई मेले को लेकर विभिन्न दृष्टिकोण हैं। कुछ लोग इसे एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर मानते हैं, जबकि अन्य इसे समाप्त करने का समर्थन करते हैं। इस मेले से जुड़े सामाजिक और धार्मिक मूल्य काफी जटिल हैं और इनसे समाज में एक बड़ा विभाजन उत्पन्न हुआ है।

इस मेले के दौरान, केवल बलिदान ही नहीं, बल्कि विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियाँ भी होती हैं, जैसे नृत्य, संगीत, और स्थानीय हस्तशिल्प का प्रदर्शनी। यह त्यौहार नेपाल की सांस्कृतिक विविधता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इस प्रकार, गढ़ीमाई मेला एक ऐसा समारोह है जो न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। अगर आप इस मेले के बारे में और जानना चाहते हैं, तो इस परंपरा को समझने का प्रयास करें और देखें कि कैसे इसने स्थानीय जीवन और संस्कृति को प्रभावित किया है।

News by PWCNews.com

कीवर्ड्स

नेपाल गढ़ीमाई मेला, 5 साल में एक बार गढ़ीमाई मेला, गढ़ीमाई बलि परंपरा, जानवरों की बलि नेपाल, गढ़ीमाई देवी पूजा, गढ़ीमाई मेला चित्र, नेपाली सांस्कृतिक मेले, पशु बलि की परंपरा, नेपाल धार्मिक उत्सव, गढ़ीमाई मेला विवाद.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow