नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव: बैलेट पेपर में धांधली के आरोप, HC का DM को जांच का आदेश
नैनीताल। जिला पंचायत अध्यक्ष नैनीताल चुनाव को लेकर आज 20 अगस्त बुधवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट में फिर सुनवाई हुई। कांग्रेस

नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव: बैलेट पेपर में धांधली के आरोप, HC का DM को जांच का आदेश
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कम शब्दों में कहें तो, नैनीताल के जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बैलेट पेपर के साथ छेड़छाड़ के आरोपों ने चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला मजिस्ट्रेट को जांच का आदेश दिया है।
नैनीताल। जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर आज 20 अगस्त बुधवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कांग्रेस की जिला पंचायत सदस्य पूनम बिष्ट ने इस मामले में याचिका दायर की है। सुनवाई के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव में एक मतपत्र में एक अधिकारी ने टेंपरिंग और ओवर राइटिंग की है। याचिकाकर्ता की ओर से माननीय उच्च न्यायालय में पेश किए गए वीडियो सबूत ने उनके दावों को और मजबूती प्रदान की है।
चुनाव प्रक्रिया पर उठे गंभीर सवाल
यह मामला सिर्फ नैनीताल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे उत्तराखंड राज्य की चुनावी प्रक्रिया के पारदर्शिता पर भी सवाल खड़ा करता है। पूनम बिष्ट ने कहा कि जिस तरीके से बैलेट पेपर में बदलाव किया गया है, उससे चुनाव की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए।
उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण आदेश
उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जिला मजिस्ट्रेट को मामले की तात्कालिकता को समझते हुए त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए। उच्च न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि चुनाव में किसी भी प्रकार की धांधली को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और सच्चाई को सामने लाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।
लोकतंत्र की मजबूती की आवश्यकता
यह सुनवाई लोकतंत्र की मजबूत नींव को समझने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। चुनाव लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा हैं और इसके प्रति हमारी जिम्मेदारी है। किसी भी प्रकार की गड़बड़ी चुनाव प्रक्रिया को कमजोर करती है और समाज में विश्वास को हानि पहुँचाती है। ऐसे में हर नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह चुनावों में पारदर्शिता की रक्षा करे।
निष्कर्ष
वर्तमान मामले की सुनवाई आने वाले समय में यह निर्धारित करेगी कि नैनीताल चुनाव में धांधली की सच्चाई क्या है या यह केवल निराधार आरोप हैं। यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि नागरिक अपनी आवाज उठाने में सक्षम हैं और न्याय के लिए संघर्ष करना उनकी जिम्मेदारी है।
इस प्रकार की आधिकारिक कार्यवाहियों से बचने के लिए यह नितांत आवश्यक है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जाए। जनता का विश्वास बहाल करने के लिए यही एकमात्र उपाय है।
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