बिंदुखत्ता में गौला नदी का कहर, दर्जनों एकड़ जमीन समाई धारा में…

गौला नदी का कहर: बिंदुखत्ता में दर्जनों एकड़ जमीन समाई धारा में, किसानों की बढ़ी मुश्किलें लालकुआं। पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार हो रही भारी बरसात ने गौला नदी को उफान पर ला दिया है। नदी के तेज बहाव और भू-कटाव से बिंदुखत्ता क्षेत्र में दर्जनों एकड़ उपजाऊ जमीन नदी की धारा में समा चुकी है। […] The post बिंदुखत्ता में गौला नदी का कहर, दर्जनों एकड़ जमीन समाई धारा में… appeared first on Uttarakhand News Update.

Aug 19, 2025 - 00:53
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बिंदुखत्ता में गौला नदी का कहर, दर्जनों एकड़ जमीन समाई धारा में…

बिंदुखत्ता में गौला नदी का कहर, दर्जनों एकड़ जमीन समाई धारा में…

गौला नदी का कहर: बिंदुखत्ता में दर्जनों एकड़ जमीन समाई धारा में, किसानों की बढ़ी मुश्किलें।

लालकुआं। पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार हो रही भारी बरसात ने गौला नदी को उफान पर ला दिया है। नदी के तेज बहाव और भू-कटाव से बिंदुखत्ता क्षेत्र में दर्जनों एकड़ उपजाऊ जमीन नदी की धारा में समा चुकी है। इससे न केवल किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, बल्कि बरसात से बचाव के लिए बनाए गए अधिकांश तटबंध और चेक डैम भी बह गए हैं।

बाढ़ की स्थिति और उसका प्रभाव

पिछले एक सप्ताह से लगातार वर्षा के कारण गौला नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। स्थानीय किसानों का कहना है कि उन्हें अपनी फसलों की चिंता है, जो अब नदी के तेज बहाव में बह गई हैं। इससे उनकी आजीविका पर संकट आ गया है और वे मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं।

ग्रामीणों ने तराई पूर्वी वन प्रभाग के गौला रेंज के वन क्षेत्राधिकारी और विभागीय टीम के साथ मौके का निरीक्षण किया। विशेष रूप से, इंदिरानगर द्वितीय गब्दा, संजयनगर, रावतानगर, देवी मंदिर और श्रीलंका टापू क्षेत्र में स्थिति सबसे गंभीर है। कई खेतों में पानी जमा हो जाने से फसलों को नुकसान पहुंचा है।

स्थानीय नेताओं और अधिकारियों की मदद

स्थिति गंभीर होने पर आशंकित ग्रामीण अब क्षेत्रीय विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट और वन विभाग के उच्च अधिकारियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं। इस क्रम में आज वरिष्ठ समाजसेवी कुंदन सिंह मेहता और ग्रामीण प्रतिनिधियों ने नदी के तटीय इलाकों का निरीक्षण किया।

गौला रेंज के वन क्षेत्राधिकारी चंदन सिंह अधिकारी ने स्वयं स्थल का निरीक्षण किया और कहा कि भू-कटाव से ग्रामीणों को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि नुकसान का आकलन कर विस्तृत प्रस्ताव उच्च अधिकारियों को भेजा जा रहा है। स्थानीय प्रशासन ने भी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी है।

आगे की चुनौतियाँ

नदी के बाहर निकलने से बिंदुखत्ता क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों के प्रभाव स्पष्ट हो रहे हैं। स्थानीय लोग अब जलवायु परिवर्तन तथा सस्टेनेबल फसल पर ध्यान देने की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं। हालांकि बाढ़ से राहत के उपाय जल्द लाए जाने की आवश्यकता है ताकि किसानों को बुनियादी सुविधाओं की सुरक्षा मिल सके।

गौला नदी का कहर एक चेतावनी है कि हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाने की आवश्यकता है। स्थानीय प्रबुद्ध जनों ने सुझाव दिया है कि नदी के किनारे वृक्षारोपण और उचित जल प्रबंधन योजनाएँ विकसित की जाएं ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचा जा सके।

निष्कर्ष

बिंदुखत्ता में गौला नदी का कहर एक महत्वपूर्ण विषय है, जो न केवल स्थानीय किसानों की आर्थिक स्थिति को प्रभावित कर रहा है, बल्कि समग्र पर्यावरणीय स्वास्थ्य पर भी सवाल उठाता है। इस आपदा का प्रभाव सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक समस्या की पहचान है, जिसका समाधान सामूहिक प्रयासों से ही संभव है। जलवायु परिवर्तन के इस संकट का सामना करने के लिए हमें एकजुट होना होगा।

अधिक जानकारी के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट पर जाएं: pwcnews.

Written by: Aditi Sharma, Anita Mehta, Neha Verma, Team pwcnews

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