भारत में अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार के लिए डॉ. नरेश बंसल ने की सख्त कार्रवाई की मांग
राज्यसभा में बोलते हुए डॉ. नरेश बंसल ने कहा कि भारत में अपशिष्ट प्रबंधन एक गंभीर समस्या बन चुका है और इस पर तुरंत ठोस कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्रों में कचरे के पहाड़ खड़े हो रहे हैं, जिससे प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी खतरे बढ़ रहे हैं। डॉ. बंसल ने […] The post भारत में अपशिष्ट प्रबंधन पर डॉ. नरेश बंसल ने मांगी सख्त कार्रवाई appeared first on Khabar Sansar News.

भारत में अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार के लिए डॉ. नरेश बंसल ने की सख्त कार्रवाई की मांग
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कम शब्दों में कहें तो, भारत में अपशिष्ट प्रबंधन एक गंभीर समस्या बन चुकी है। राज्यसभा में अपने हालिया बयान में, डॉ. नरेश बंसल ने इस मुद्दे की गंभीरता को उजागर करते हुए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता बताई है। उन्होंने कहा है कि शहरी क्षेत्रों में बढ़ते कचरे के ढेर न केवल पर्यावरण को हानि पहुँचा रहे हैं, बल्कि ये स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं को भी जन्म दे रहे हैं।
अपशिष्ट प्रबंधन: एक गंभीर संकट
डॉ. बंसल का स्पष्ट कहना है, "भारत में अपशिष्ट प्रबंधन गंभीर संकट का रूप ले चुका है." उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्थापित स्वच्छ भारत अभियान की चर्चाओं के बावजूद, कचरे के उचित निस्तारण में हो रही बाधाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अब समय है कि हम वास्तविकता का सामना करें और इसे सुधारने का साहस दिखाएं।
शहरी क्षेत्रों में कचरे का बढ़ता बोझ
डॉ. बंसल ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में कचरे के ढेर बढ़ते जा रहे हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को खतरा पहुँच रहा है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय निकायों को इस समस्या के समाधान के लिए वैज्ञानिक और प्रभावी तरीकों की आवश्यकता है।
ई-कचरे का संकट
डॉ. बंसल ने उल्लेख किया कि भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ई-कचरा जनरेटर बन चुका है। हर साल लगभग 110 मिलियन मीट्रिक टन नगरपालिका ठोस अपशिष्ट पैदा हो रहा है, जो न केवल पर्यावरण बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालता है।
समाधान क्या है?
इस समस्या के समाधान के लिए, डॉ. बंसल ने सुझाव दिया कि कचरे का पृथक्करण एवं विकेंद्रीकृत प्रसंस्करण अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि बायोडिग्रेडेबल कचरे को स्रोत पर ही अलग करने और उसकी पुनर्चक्रण की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके साथ ही, स्थानीय निकायों को पुनः चक्रण और प्रसंस्करण की प्रणाली की स्थापना करनी होगी।
उन्होंने ध्यान दिलाया कि इस प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत करना आवश्यक है ताकि स्थानीय निकाय पूरी ताकत के साथ जुड़कर काम कर सकें और नागरिकों को भी इस दिशा में अधिकतम सहयोग मिल सके।
निष्कर्ष
डॉ. बंसल ने सरकार से अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में त्वरित और सख्त कदम उठाने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह केवल एक राजनीतिक चर्चा का विषय नहीं, बल्कि हर भारतीय नागरिक के स्वास्थ्य और पर्यावरण का एक गंभीर मुद्दा बन चुका है।
डॉ. बंसल का यह बयान हमें यह याद दिलाता है कि यदि इस चुनौती को नहीं संभाला गया, तो इसके परिणाम भयानक हो सकते हैं। हमें इस दिशा में तत्परता से कार्य करना पड़ेगा।
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