यशपाल आर्य का गोलज्यू की शरण में जाना: नैनीताल हाईकोर्ट सुनवाई से पहले एक अद्वितीय कदम

नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से जुड़े मसले पर कल यानी 18 अगस्त को...

Aug 17, 2025 - 18:53
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यशपाल आर्य का गोलज्यू की शरण में जाना: नैनीताल हाईकोर्ट सुनवाई से पहले एक अद्वितीय कदम

यशपाल आर्य का गोलज्यू की शरण में जाना: नैनीताल हाईकोर्ट सुनवाई से पहले एक अद्वितीय कदम

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कम शब्दों में कहें तो, नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से जुड़े विवाद मामले में 18 अगस्त को हाईकोर्ट में सुनवाई होने वाली है। इस संदर्भ में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने अपने कदम गोलज्यू की शरण में रखे हैं। पिछले दिनों नैनीताल के ज़िला पंचायत चुनावों में जो हंगामे और अराजकता हुई, उसे देखते हुए उन्होंने इस दिशा में प्रार्थना की है।

गोलज्यू की शरण में यशपाल आर्य

यशपाल आर्य ने कहा, "ये न्याय के देवता गोल्ज्यू की भूमि है, जो हर आँसू, हर याचना का प्रतिकार करने में सक्षम हैं। वे अन्याय से उत्पन्न घावों पर मरहम लगाते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि उनके इस विनम्र प्रयास के माध्यम से उन्हें विश्वास है कि न्याय अवश्य होगा। उत्तराखंड की राजनीति में पिछले दिनों हुई हिंसा और अराजकता ने हर किसी को हिलाया है।

न्याय की उम्मीद

यशपाल आर्य ने गोलज्यू पर अपने विश्वास को व्यक्त करते हुए कहा, "मुझे पूरा यकीन है कि गोल्ज्यू मेरे लिए न्याय जरूर करेंगे। नैनीताल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश इस प्रकरण को नजरअंदाज नहीं कर सकते। हमारे मुख्यमंत्री चम्पावत से विधायक हैं, जो गोल्ज्यू की जन्मभूमि है। यह मात्र एक संयोग नहीं बल्कि देवता के आशीर्वाद का प्रतीक है। अन्याय इस पवित्र भूमि पर फला-फुला नहीं सकता।"

बैठक और यात्रा की चर्चा

यशपाल आर्य की इस यात्रा को देखकर यह स्पष्ट होता है कि उत्तराखंड में राजनीतिक turbulance काफी बढ़ चुका है। कई अन्य नेताओं ने भी उनकी सोच का समर्थन किया है। इसके बावजूद, यह प्रश्न बना हुआ है कि न्यायालय इस संवेदनशील मामले में कौन सा निर्णय देता है।

निष्कर्ष

यशपाल आर्य की गोलज्यू की शरण में जाने का यह कदम ना केवल राज्य की राजनीति में एक नई बुनियाद रखता है, बल्कि यह क्षेत्र की पहचान और संस्कृति के प्रति जागरूकता को भी दर्शाता है। क्षेत्र के लोगों को इस निर्णय से कुछ उम्मीदें हैं, कि शायद न्याय का पैगाम अंततः सामने आए। यह स्पष्ट है कि उत्तराखंड की राजनीति में अराजकता को नियंत्रित करने की आवश्यकता महसूस हो रही है।

तो क्या यशपाल आर्य की यह शरण में जाना किसी सकारात्मक परिणाम की ओर इशारा करता है? यह जानने के लिए हमें 18 अगस्त का इंतज़ार करना होगा।

अब देखना है कि नैनीताल हाईकोर्ट इस मामले में क्या निर्णय देती है। जानकारों का मानना है कि यह केवल एक राजनीतिक मामला नहीं है, बल्कि इससे जुड़े मानवीय और सांस्कृतिक मुद्दे भी गहराई से जुड़े हुए हैं।

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