"वे परिवार नहीं बनाना चाहते", जनसंख्या को लेकर मोहन भागवत ने फिर दिया बयान

मोहन भागवत ने कहा कि जो लोग केवल खुद के बारे में सोचते हैं, वे परिवार नहीं बनाना चाहते। उन्होंने कहा कि इस सोच के कारण देश की जनसंख्या में गिरावट आ रही है।

Dec 19, 2024 - 22:00
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"वे परिवार नहीं बनाना चाहते", जनसंख्या को लेकर मोहन भागवत ने फिर दिया बयान

वे परिवार नहीं बनाना चाहते: जनसंख्या को लेकर मोहन भागवत ने फिर दिया बयान

भारतीय संस्कति एवं समाज के विकास पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने समाज में बढ़ती जनसंख्या के मुद्दे पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं में परिवार बनाने की इच्छा कम होती जा रही है, जिसके गंभीर परिणाम होंगे।

युवाओं की बदलती सोच

मोहन भागवत ने यह संकेत दिया कि वर्तमान समय में कई युवा अपने करियर को प्राथमिकता दे रहे हैं और परिवार की स्थिरता के बजाय व्यक्तिगत स्वतंत्रता को ज्यादा महत्व دے रहे हैं। यह विचारधारा समाज के पारंपरिक मूल्यांकन के खिलाफ है। उन्होंने इस पर जोर दिया कि परिवार का निर्माण केवल सामाजिक आवश्यकताएं पूरी करने के लिए नहीं, बल्कि भावनात्मक और मानसिक स्थिरता के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।

जनसंख्या संतुलन की आवश्यकता

उनका यह भी कहना था कि जनसंख्या संतुलन बनाए रखना चाहिए, ताकि समाज में संसाधनों का सही उपयोग हो सके। भागवत ने बढ़ती जनसंख्या के नकारात्मक प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित किया, जैसे कि स्वास्थ्य सेवाओं का दबाव, रोजगार अवसरों का सीमित होना, और सामाजिक असमानता में वृद्धि।

समाज निर्माण में परिवार का महत्व

मोहन भागवत के अनुसार, परिवार ही समाज की नींव है। उन्होंने कहा कि यदि हम अच्छे नागरिक बनाना चाहते हैं तो हमें मजबूत परिवारों की आवश्यकता होगी। उन्होंने भारतीय परिवारों की पारंपरिक संरचना की महत्ता को भी याद दिलाया, जिससे युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए, किसी भी समय 'News by PWCNews.com' पर जाकर पढ़ सकते हैं।

निष्कर्ष

मोहन भागवत का यह बयान समाज में एक आवश्यक चर्चा को जन्म देता है। यह हमें याद दिलाता है कि समाज के विकास के लिए परिवारों का महत्व भुलाया नहीं जा सकता।

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