श्याम जाजू का आपातकाल पर भावुक विचार, कांग्रेस पर उठाए गंभीर सवाल
देश में आपातकाल लागू किए जाने के 50 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके...

श्याम जाजू का आपातकाल पर भावुक विचार, कांग्रेस पर उठाए गंभीर सवाल
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कम शब्दों में कहें तो, देश में आपातकाल लागू किए जाने के 50 साल पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता श्याम जाजू ने एक भावनात्मक भाषण देते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए। जाजू ने कहा कि 25 जून 1975 का दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए एक काला अध्याय था, जब देश में आपातकाल लागू किया गया। उस समय संविधान का सम्मान नहीं किया गया, लोकतंत्र प्रभावित हुआ और सच बोलने के लिए न केवल साहस की आवश्यकता थी बल्कि इसके लिए किसी भी को कीमत चुकानी पड़ती थी।
श्याम जाजू का दर्द और कांग्रेस पर आरोप
श्याम जाजू ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, "हम लाखों देशभक्तों की तरह तानाशाही के खिलाफ खड़े रहे।" उन्होंने अपने परिवार की लोकतंत्र की रक्षा में भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, "मैं और मेरे पिता, दोनों ही जनतंत्र के सच्चे रक्षक थे। हमने अत्याचार का मुकाबला करने के लिए कलम और कंधे दोनों का इस्तेमाल किया।"
जेल की कठिनाईयों का सामना
जाजू ने एक कठिन रात का अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्हें और उनके पिता को बिना किसी वारंट के हिरासत में लिया गया था। "जेल के वातावरण में हर रात अकेलापन था, लेकिन हमें संतोष था कि हम न्याय के लिए खड़े थे।" उनका दृढ़ संकल्प और साहस ने उन्हें उस कठिन समय में और सा करते हुए मजबूत बनाए रखा।
उन्होंने कहा, "आपातकाल ने हमारे परिवार को तोड़ने की कोशिश की, परंतु हमारे हौसले और विचारों को नहीं। यह अनुभव हमें सिखाया कि लोकतंत्र की रक्षा केवल संविधान से नहीं, बल्कि नागरिकों के साहस से होती है।"
दौर की यादें और सीख
आज, जब हम आजादी की खुली हवा में सांस लेते हैं, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उस डरावने दौर को याद रखें और आने वाली पीढ़ियों को यह बताएं कि कैसे यह एक ऐसा समय था जब सच बोलने के लिए जेल जाना आम बात थी। जाजू ने कांग्रेस को संविधान का अपमान करने वाला करार देते हुए कहा कि जो कुछ भी हुआ वह भारतीय लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है।
यह विशेष अवसर हमारे समाज को यह बताने का एक अवसर है कि लोकतंत्र की रक्षा की जिम्मेदारी हम सभी की है। जाजू के विचार हमें प्रेरित करते हैं कि हमें अपने संघर्ष और परिश्रम के प्रति सचेत रहना चाहिए। यह घटनाएँ हमें सिखाती हैं कि स्वतंत्रता की कीमत को कभी नहीं भूलना चाहिए।
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यह लेख महिलाओं एवं पुरुषों के साहस की कहानियों को उजागर करता है, जिनकी वजह से हम एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक समाज में जी रहे हैं। स्वतंत्रता की यह यात्रा हमें सिखाती है कि संघर्ष और कड़ी मेहनत के बिना कोई भी प्रगति संभव नहीं है।
सादर, टीम PWC न्यूज़.
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