367 वें दिन कर्मचारी महासंघ ने यहां लगाए पौधे
संयुक्त कर्मचारी महासंघ कुमाऊं गढ़वाल मंडल विकास निगम के प्रांतीय आवाहन पर नियमितीकरण नियमावली कट...

367 वें दिन कर्मचारी महासंघ ने यहां लगाए पौधे
संयुक्त कर्मचारी महासंघ कुमाऊं गढ़वाल मंडल विकास निगम द्वारा पौधारोपण का अनोखा आंदोलन आज 367वें दिन भी जारी रहा। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नियमितीकरण नियमावली की कट ऑफ डेट 2025 को लेकर राज्य में जागरूकता लाना है। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुरु रानी के नेतृत्व में पर्यटकों को इस कार्यक्रम में शामिल करने के लिए 'देवभूमि में पर्यटक बनकर आईए' जैसे स्लोगन का उपयोग किया गया।
पौधारोपण का महत्व
पौधारोपण न केवल पर्यावरण संरक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह हमारे जीवन के लिए भी आवश्यक है। यह न केवल वायु को शुद्ध करता है, बल्कि भूमि की उपज क्षमता को भी बढ़ाता है। महासंघ ने धूसाखान शिव मंदिर परिसर में विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण किया। इस अवसर पर कार्यक्रम में उपस्थित सदस्यों ने पुराने पौधों की देखभाल करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
पर्यटन और पर्यावरण
महासंघ का यह कार्यक्रम विशेष रूप से पर्यटकों को पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति जागरूक करने के लिए प्रयासरत है। 'पौधारोपण कर पर्यावरण मित्र बनकर जाइए' जैसे स्लोगन के माध्यम से वे पर्यटकों को प्रेरित कर रहे हैं कि वे न केवल यात्रा करें, बल्कि अपने अनुभवों को और भी यादगार बनाएं। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है कि पर्यटक सिर्फ यात्रा पर न जाएं, बल्कि उस स्थान के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें और उसके संरक्षण में योगदान दें।
आगे की योजना
गुरु रानी ने कहा कि उनका पौधारोपण आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक नियमितीकरण नियमावली का मुद्दा हल नहीं हो जाता। महासंघ का मानना है कि लगातार पौधारोपण कार्यक्रम चलाकर न केवल वे अपनी मांगें रख रहे हैं, बल्कि पर्यावरण को भी सहेजने का काम कर रहे हैं।
समाज की प्रतिक्रिया
स्थानीय जनता के बीच इस पौधारोपण आंदोलन को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। कई लोग महासंघ के कार्यों की सराहना कर रहे हैं और इसमें भाग लेने के लिए स्वयंसेवक बन रहे हैं। यह सामाजिक एकजुटता का प्रतीक है और यह दर्शाता है कि कैसे एक संगठन सामुदायिक हित के लिए कार्य कर रहा है।
निष्कर्षस्वरूप, संयुक्त कर्मचारी महासंघ का यह पौधारोपण आंदोलन न केवल एक सामाजिक पहल है, बल्कि यह सभी के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी है। यह न केवल हमारे पर्यावरण को बचाने का प्रयास है, बल्कि यह दर्शाता है कि जब लोग संगठित हो जाते हैं तो वे समाज में कितना बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
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