UN में पहली बार मनाया गया विश्व ध्यान दिवस, श्री श्री रविशंकर ने इससे जुड़े कई लाभों और आयामों पर डाला जोर
संयुक्त राष्ट्र में पहली बार मनाए गए विश्व ध्यान दिवस पर आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने प्रतिभागियों के साथ इससे जुड़े लाभों पर चर्चा की। इस दौरान महासभा के अध्यक्ष फिलेमोन यांग और अवर महासचिव अतुल खरे भी मौजूद रहे।
UN में पहली बार मनाया गया विश्व ध्यान दिवस
श्री श्री रविशंकर का संदेश
विश्व स्तर पर ध्यान की महत्ता को समझते हुए, इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र में पहली बार विश्व ध्यान दिवस का आयोजन किया गया। इस अद्वितीय अवसर पर, प्रसिद्ध योग गुरु श्री श्री रविशंकर ने ध्यान के अनेक लाभों और आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ध्यान केवल मानसिक शांति का साधन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और व्यक्तिगत सुधार का एक महत्वपूर्ण तत्व है।
विश्व ध्यान दिवस के लाभ
श्री श्री रविशंकर ने ध्यान के स्वास्थ्य लाभों को सामने रखते हुए बताया कि नियमित ध्यान से तनाव कम होता है, मानसिक स्पष्टता बढ़ती है और व्यक्ति की भावनात्मक स्थिति में सुधार होता है। इसके साथ ही, ध्यान विभिन्न संस्कृति और समाजों के बीच समझ और सद्भावना को भी बढ़ावा देता है। उन्होंने ध्यान को न केवल व्यक्तिगत विकास का साधन, बल्कि सामूहिक समर्पण का विकल्प भी बताया।
आयाम और आवश्यकताएँ
इस कार्यक्रम में ध्यान के आयामों पर भी चर्चा हुई, जिसमें ध्यान के विभिन्न प्रकार, जैसे कि माइंडफुलनेस, ट्रांसीडेंटल ध्यान, और सांग संकेतान निर्माण की प्रक्रिया शामिल थे। श्री श्री रविशंकर ने सुझाव दिया कि युवा पीढ़ी को ध्यान को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए। इस ऐतिहासिक घटना ने ध्यान को वैश्विक समस्या समाधान के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव संभव हो।
समापन और आगे के कदम
श्री श्री रविशंकर ने इस कार्यक्रम का समापन करते हुए सभी उपस्थित व्यक्तियों को ध्यान के महत्व को समझने और अपने जीवन में उसे शामिल करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि ध्यान के माध्यम से हम न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं, बल्कि समाज के समग्र विकास में भी योगदान दे सकते हैं।
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