'इतनी दुश्मनी रखते हैं', गणतंत्र दिवस परेड से बाहर हुई दिल्ली की झांकी तो भड़के केजरीवाल
इस बार भी राजपथ पर होने वाली पारंपरिक गणतंत्र दिवस परेड में दिल्ली की झांकी शामिल नहीं होगी। यह चौथी बार होगा जब राष्ट्रीय राजधानी को शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर उनकी पार्टी के खिलाफ बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया है।
इतनी दुश्मनी रखते हैं: गणतंत्र दिवस परेड से बाहर हुई दिल्ली की झांकी तो भड़के केजरीवाल
गणतंत्र दिवस परेड हर साल देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस बार दिल्ली की झांकी को परेड से बाहर रखना एक बड़ा विवाद बन गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे लेकर भड़का हुआ दिखाई दिया और कहा कि इतना बड़ा अपमान कोई नहीं सह सकता। News by PWCNews.com
क्या है पूरा मामला?
गणतंत्र दिवस परेड में आमतौर पर विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियों को शामिल किया जाता है। दिल्ली की झांकी को बाहर रखने के निर्णय ने लोगों में निराशा और गुस्सा पैदा किया। केजरीवाल ने इसे राजनीतिक दुर्भावना के रूप में देखा और कहा कि यह दर्शाता है कि केंद्र सरकार दिल्ली की जनता के प्रति कितनी दूसरी दृष्टि रखती है।
केजरीवाल का बयान
केजरीवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "यह एक निश्चित राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम है। हम यह समझने में असफल हैं कि इतनी दुश्मनी क्यों रखी जा रही है।" उन्होंने दिल्ली के लोगों के प्रति अपमान जनक इस व्यवहार पर चिंता जताई और कहा कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
राजनीतिक विश्लेषण
विश्लेषकों के अनुसार, केजरीवाल का यह बयान केवल झांकी से बाहर रहने के संदर्भ में नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ती कटुता को भी दर्शाता है। यह सवाल उठता है कि क्या ऐसा करना राजनीतिक प्रतिशोध है या फिर यह असली मुद्दों से ध्यान भटकाने का एक तरीका है।
समाज के विभिन्न वर्गों की प्रतिक्रिया
इस मामले पर दिल्ली के नागरिकों में भी असंतोष है। कई लोगों ने आम आदमी पार्टी के फेसबुक और ट्विटर हैंडल पर अपने विचार साझा किए और कहा कि यह मामला केवल राजनीति का एक हिस्सा है। वहीं, कुछ लोगों ने इसे सही ठहराने की कोशिश भी की, यह कहते हुए कि किसी भी राज्य की झांकी का चयन मानदंडों पर आधारित होना चाहिए।
गणतंत्र दिवस जैसे महत्वपूर्ण समारोह में सभी राज्यों का समान रूप से सम्मान मिलना चाहिए, और इस पर प्रश्न उठने पर बात को गंभीरता से लेना आवश्यक है।
निष्कर्ष
दिल्ली की झांकी के बाहर होने का मामला केवल एक विवाद नहीं है, बल्कि यह भारत की राजनीति की गहरी जड़ों को दर्शाता है। यह निश्चित रूप से सभी को सोचने पर मजबूर कर देता है कि हमारे राजनीतिक नेतृत्व का आज के समय में क्या महत्व है।
इसके साथ ही, देश की विविधता को मान्यता देना और समेटना उतना ही महत्वपूर्ण है। गणतंत्र दिवस हर साल हमें एकजुट होने का संदेश देता है।
इस तरह के घटनाक्रम हमें याद दिलाते हैं कि राजनीति की इस दुनिया में सिर्फ वैमनस्य नहीं, बल्कि सहानुभूति और समझ का भी होना जरूरी है।
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