चम्पावत: सड़क की कमी ने ग्रामीणों को डोली का सहारा बनने पर मजबूर किया

चम्पावत। जनपद के पालबिलौन क्षेत्र के क्वारसिंग के पास के कई तोकों की सड़क से दूरी ग्रामीणों के लिए मुसीबत

Sep 14, 2025 - 09:53
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चम्पावत: सड़क की कमी ने ग्रामीणों को डोली का सहारा बनने पर मजबूर किया

चम्पावत: सड़क की कमी ने ग्रामीणों को डोली का सहारा बनने पर मजबूर किया

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कम शब्दों में कहें तो, चम्पावत के पालबिलौन क्षेत्र में सड़क की कमी ने ग्रामीणों के लिए गंभीर समस्याएँ उत्पन्न कर दी हैं, विशेष रूप से बुजुर्ग और बीमार लोगों के लिए।

ग्रामीणों की मुसीबत

चम्पावत। जनपद के पालबिलौन क्षेत्र के क्वारसिंग के पास स्थित कई तोकों की सड़क से दूरी यहाँ के निवासियों के लिए एक बड़ी परेशानी का कारण बन रही है। सड़क न होने के कारण गाँव के बुजुर्ग, बीमार और गर्भवती महिलाएं बड़ी मुसीबत में हैं।

बीमार महिला की दर्द भरी कहानी

क्वारसिंग के किरमोला तोक की निवासी 65 वर्षीय देवकी देवी, जो कुछ दिन पहले गिरने से गंभीर रूप से घायल हो गई थीं, को 13 सितंबर को अस्पताल से डोली के माध्यम से घर लाया गया। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि कैसे स्थानीय लोग अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में संकटों का सामना कर रहे हैं। बिना सड़क के, बीमारियों और अन्य आपातकालीन परिस्थितियों में लोगों के लिए अस्पताल पहुंचना बेहद कठिन हो जाता है।

सरकार की अनदेखी

ग्रामीणों की इस समस्या की ओर सरकार की नजर नहीं जा रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई बार अपनी समस्याओं को लेकर उन्होंने अधिकारियों से बात की है, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। यह स्थिति उनकी जीवनशैली को प्रभावित कर रही है और अनेक बार उन्हें जरूरी चिकित्सा सहायता नहीं मिल पाती।

स्थानीय लोगों की मांग

क्वारसिंग के निवासियों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द उनकी गाँव के मार्गों का निर्माण किया जाए ताकि सभी को स्वास्थ्य सेवाएँ और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकें। डोली की जगह एक अच्छी सड़के ही उनका असली सहारा बन सकती है।

समाज के प्रति जिम्मेदारी

इस तरह की समस्याएँ केवल चम्पावत तक सीमित नहीं हैं बल्कि कई अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखी जा सकती हैं। सड़क की किल्लत के कारण न केवल स्वास्थ्य समस्याएँ, बल्कि शिक्षा और रोजगार के अवसर भी प्रभावित होते हैं। समाज के सभी सदस्यों को इस दिशा में एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है।

अंत में, यह जरूरी है कि प्रशासन और सरकार मिलकर इस मुद्दे को प्राथमिकता दें ताकि ग्रामीणों की ज़िन्दगी में सुधार हो सके और उनकी आवाज़ सुनी जा सके।

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सप्रेम,

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