टी०बी० एवं श्वास रोग विभाग द्वारा मेडिकल कॉलेज परिसर के लेक्चर थियेटर में पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट पर एक कार्यशाला आयोजित
खबर संसार हल्द्वानी.आज दिनांक 24 अगस्त रविवार को राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के टी०बी० एवं श्वास रोग विभाग द्वारा मेडिकल कॉलेज परिसर के लेक्चर थियेटर में पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट पर एक कार्यशाला आयोजित की गयी। कार्यशाला का उद्देश्य पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट की जानकारी देना था। डा० अरूण जोशी प्राचार्य राजकीय मेडिकल कॉलेज डा0 आर0जी नौटियाल […] The post टी०बी० एवं श्वास रोग विभाग द्वारा मेडिकल कॉलेज परिसर के लेक्चर थियेटर में पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट पर एक कार्यशाला आयोजित appeared first on Khabar Sansar News.

टी०बी० एवं श्वास रोग विभाग द्वारा मेडिकल कॉलेज परिसर के लेक्चर थियेटर में पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट पर एक कार्यशाला आयोजित
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खबर संसार हल्द्वानी। आज दिनांक 24 अगस्त रविवार को राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के टी०बी० एवं श्वास रोग विभाग द्वारा मेडिकल कॉलेज परिसर के लेक्चर थियेटर में पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य चिकित्सकों और छात्रों को पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करना था।
कार्यशाला का प्रारम्भ
कार्यशाला का शुभारंभ डा० अरूण जोशी, प्राचार्य राजकीय मेडिकल कॉलेज और डा० आर०जी नौटियाल, विभागाध्यक्ष द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इसके बाद विषय विशेषज्ञों ने प्रमुख चिकित्सा विषयों पर अपने विचार साझा किए। कार्यशाला में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों में प्रमुख चिकित्सक और मेडिकल कॉलेज के छात्र शामिल थे।
पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट की जानकारी
डा० आर०जी० नौटियाल ने स्पाइरोमेट्री पर अपने वक्तव्य में बताया कि यह टेस्ट फेफड़ों की कार्यक्षमता का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। इस परीक्षण के माध्यम से यह पता चलता है कि व्यक्ति कितनी हवा अंदर ले सकता है और कितनी तेजी से सांस छोड़ सकता है। यह अस्थमा और सीओपीडी जैसी फेफड़ों की समस्याओं का निदान करने में सहायक है।
दिल्ली के एम्स के डा० अरूण अचेलम ने फीनो परीक्षण, जो कि सांस छोडने वाली हवा में नाइट्रिक ऑक्साइड के स्तर को मापता है, के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह परीक्षण अस्थमा के मामलों में फेफड़ों की सूजन का पता लगाने में मदद करता है।
विशेषज्ञों द्वारा साझा किए गए अनुभव
फोर्टिस हॉस्पिटल, दिल्ली के डा० राहुल कुमार शर्मा ने एफओटी टेस्ट के बारे में बताया, जो फेफड़ों के यांत्रिक गुणों को मापता है। इस परीक्षण के माध्यम से फेफड़ों की बीमारियों का पता लगाने और उनकी कार्यक्षमता का आंकलन किया जाता है।
नीलकंठ हॉस्पिटल के वरिष्ठ श्वांस रोग विशेषज्ञ डा० गौरव सिंघल ने डीएलसीओ परीक्षण, जिसे वाष्पस्फीति परीक्षण कहा जाता है, का महत्व बताया। यह परीक्षण फेफड़ों की ऑक्सीजन परिवहन क्षमता को जाँचता है और फेफड़ों से जुड़ी विभिन्न बीमारियों का निदान करता है।
निष्कर्ष
इस कार्यशाला ने पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट और उसके विभिन्न पहलुओं के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ साझा कीं। मेडिकल कॉलेज के छात्रों और चिकित्सकों ने इस अवसर का भरपूर लाभ उठाया और फेफड़ों की स्वास्थ्य चिंताओं पर गहन चर्चा की। इस प्रकार की कार्यशालाएँ चिकित्सकीय शिक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और विशेषज्ञों के अनुभवों को साझा करने का एक प्रभावशाली मंच प्रदान करती हैं।
कार्यशाला में कई नामी चिकित्सा विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी और इसमें मेडिकल छात्रों और रेज़ीडेंट चिकित्सकों की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। कुल मिलाकर, यह कार्यक्रम पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट की जानकारी के प्रसार में एक सार्थक कदम साबित हुआ।
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