बिंदुखत्ता में गौला नदी का कहर: किसान और भूमि संकट में
गौला नदी का कहर: बिंदुखत्ता में दर्जनों एकड़ जमीन समाई धारा में, किसानों की बढ़ी मुश्किलें लालकुआं। पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार हो रही भारी बरसात ने गौला नदी को उफान पर ला दिया है। नदी के तेज बहाव और भू-कटाव से बिंदुखत्ता क्षेत्र में दर्जनों एकड़ उपजाऊ जमीन नदी की धारा में समा चुकी है। […] The post बिंदुखत्ता में गौला नदी का कहर, दर्जनों एकड़ जमीन समाई धारा में… appeared first on Uttarakhand News Update.

बिंदुखत्ता में गौला नदी का कहर: किसान और भूमि संकट में
गौला नदी का कहर: बिंदुखत्ता में दर्जनों एकड़ जमीन समाई धारा में, किसानों की बढ़ी मुश्किलें।
लालकुआं: पर्वतीय क्षेत्रों में हो रही लगातार भारी बरसात के कारण गौला नदी ने अपने उफान पर आकर बिंदुखत्ता क्षेत्र में तबाही मचा दी है। तेज बहाव और भू-कटाव के कारण दर्जनों एकड़ उपजाऊ भूमि अब नदी की धारा में समा चुकी है। इससे न केवल किसानों को भारी नुकसान हुआ है, बल्कि बरसात से सुरक्षा के लिए बनाए गए तटबंध और चेक डैम भी बहकर चले गए हैं।
बाढ़ की स्थिति और उसका प्रभाव
पिछले एक सप्ताह से हो रही निरंतर वर्षा ने गौला नदी के जलस्तर को तेजी से बढ़ा दिया है। स्थानीय किसानों का कहना है कि उनकी फसलें अब नदी के तेज बहाव में बह गई हैं, जिससे उनकी आजीविका पर गंभीर संकट आ गया है। मानसिक तनाव के बीच उन्हें अपने जीवनयापन की चिंता सताने लगी है।
ग्रामीणों ने तराई पूर्वी वन प्रभाग के गौला रेंज के वन क्षेत्राधिकारी और विभागीय टीम के साथ मिलकर स्थिति का निरीक्षण किया। इंदिरानगर द्वितीय गब्दा, संजयनगर, रावतानगर, देवी मंदिर एवं श्रीलंका टापू जैसे क्षेत्रों में स्थिति अत्यंत गंभीर है, जहां कई खेतों में पानी जमा हो जाने के कारण फसलों को पूरी तरह नुकसान पहुंचा है।
स्थानीय नेताओं और अधिकारियों की मदद
समस्या की गंभीरता को देखते हुए ग्रामीण अब क्षेत्रीय विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट और वन विभाग के उच्च अधिकारियों से सहयोग की गुहार लगा रहे हैं। इस बीच, वरिष्ठ समाजसेवी कुंदन सिंह मेहता और ग्रामीण प्रतिनिधियों ने नदी के तटीय इलाकों का मुआयना किया।
गौला रेंज के वन क्षेत्राधिकारी चंदन सिंह अधिकारी ने खुद स्थल का निरीक्षण किया और कहा कि भू-कटाव के कारण ग्रामीणों को गंभीर नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि नुकसान का आकलन कर शीघ्र ही विस्तृत प्रस्ताव उच्च अधिकारियों को भेजा जाएगा। स्थानीय प्रशासन ने भी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कार्रवाइयाँ शुरू कर दी हैं।
आगे की चुनौतियाँ
गौला नदी का योगदान बिंदुखत्ता क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों पर स्पष्ट संकेत दे रहा है। स्थानीय लोग अब जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझते हुए स्थायी कृषि पर ध्यान देने की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं। हालांकि, बाढ़ से राहत के उपायों को तुरंत लाना अनिवार्य है ताकि किसानों को आवश्यक सुविधाओं का संरक्षण मिल सके।
गौला नदी का कहर हमें बताता है कि हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है। स्थानीय विद्वानों का सुझाव है कि नदी के किनारे वृक्षारोपण तथा उचित जल प्रबंधन योजनाएँ विकसित की जाएं ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचा जा सके।
निष्कर्ष
बिंदुखत्ता में गौला नदी का कहर केवल किसानों की आर्थिक तकलीफ का ही मामला नहीं है, बल्कि यह समग्र पर्यावरण स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। यह एक व्यापक समस्या के संकेत देता है, जिसका समाधान सामूहिक प्रयासों से ही संभव है। जलवायु परिवर्तन जिस तरह से अपना असर दिखा रहा है, उसके खिलाफ हमें एकजुट होकर खड़ा होना होगा।
कम शब्दों में कहें तो, बिंदुखत्ता में गौला नदी के कहर ने किसानों के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं, और जिस तरह से जलवायु परिवर्तन उन पर प्रभाव डाल रहा है, उसके प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
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Written by: कुमुदिनी शर्मा, काजल काबरा, नेहा वर्मा, Team PWC News
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