मां ने जो नाम रखा उसी की हासिली CJI चंद्रचूड़ ने रिटायर होते हुए साझा की कहानी | PWCNews

डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि उनकी मां ने उन्हें एक बार उनके नाम का अर्थ समझाया था। वहीं, अपने पिता को लेकर उन्होंने कहा कि पिता ने इसलिए पुणे में एक घर खरीदा था ताकि कभी उन्हें समझौता न करना पड़े।

Nov 8, 2024 - 20:53
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मां ने जो नाम रखा उसी की हासिली CJI चंद्रचूड़ ने रिटायर होते हुए साझा की कहानी | PWCNews

मां ने जो नाम रखा उसी की हासिली CJI चंद्रचूड़ ने रिटायर होते हुए साझा की कहानी

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सीजेआई चंद्रचूड़ का अद्भुत सफर

भारत के मुख्य न्यायाधीश, डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में अपने रिटायरमेंट के अवसर पर एक अनोखी कहानी साझा की है, जो उनके नाम और उनकी मां के द्वारा रखे गए नाम से जुड़ी हुई है। उनका यह अनुभव भारतीय न्यायपालिका में उनके योगदान की सच्चाई को दर्शाता है। चंद्रचूड़ ने बताया कि कैसे उनके माता-पिता ने उनका नाम रखने में एक विशेष सार्थकता रखी और यह नाम उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा।

नाम का अर्थ और महत्व

चंद्रचूड़ का नाम केवल एक पहचान नहीं है, बल्कि यह परिवार की सांस्कृतिक धरोहर और मान्यताओं का पर्याय भी है। उनके माता-पिता ने यह सुनिश्चित किया कि उनका नाम न केवल सुंदर हो बल्कि उसके पीछे एक गहरी सोच भी हो। उन्होंने अपने जीवन के सफर में हमेशा अपने नाम का सम्मान किया और इसे अपनी पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना।

सीजेआई चंद्रचूड़ का योगदान

रिटायर होते हुए, चंद्रचूड़ ने भारतीय न्याय व्यवस्था में अपने योगदान को याद किया और बताया कि कैसे उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखा। उनके निर्णयों ने न केवल न्यायिक अनुमान लगाए बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में भी योगदान दिया।

समाज पर प्रभाव

चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि उनके नाम को सुनकर कई युवा पीढ़ियों ने न्याय और समानता की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया। उनके अनुभव और नेतृत्व ने न्यायपालिका को एक नई दिशा दी है। उनकी कहानी ने यह स्पष्ट किया है कि नाम केवल नाम नहीं होते; वे अक्सर हमारे चरित्र और हमारे कार्यों से भी जुड़े होते हैं।

राजनीतिक और सामाजिक परिवेश में बदलाव के साथ उन्होंने न्याय की अनूठी व्याख्या प्रस्तुत की। चंद्रचूड़ का यह संदेश युवाओं को प्रोत्साहित करता है कि वे अपने नाम और पहचान को गर्व से अपनाएं।

निष्कर्ष

चंद्रचूड़ की रिटायरमेंट के क्षणों में सुनाई गई यह कहानी बीते वर्षों की यादों और अनुभवों की कहानी है। उनका नाम और उसकी गहराई सिर्फ एक व्यक्तिगत यात्रा नहीं, बल्कि एक प्रेरणा भी है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनेगी।

यह कहानी न केवल हमें यह सिखाती है कि नाम में बहुत कुछ होता है, बल्कि यह भी कि यह व्यक्ति के जीवन के अनेकों पहलुओं को आकार देता है।

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