'राज्यसभा में 30% समय में तो सभापति धनखड़ ही बोले हैं', TMC ने लगाया आरोप

विपक्ष राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर सदन में उन्हें बोलने की अनुमति नहीं देने का लगातार आरोप लगा रहा था। वहीं, अब टीएमसी के संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने दावा किया कि कार्यवाही के दौरान करीब 30 प्रतिशत समय तक सभापति खुद बोले हैं।

Dec 20, 2024 - 15:53
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'राज्यसभा में 30% समय में तो सभापति धनखड़ ही बोले हैं', TMC ने लगाया आरोप

राज्यसभा में 30% समय में तो सभापति धनखड़ ही बोले हैं

विवरण

तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने हाल ही में राज्यसभा में एक गंभीर आरोप लगाया है, जिसमें कहा गया है कि सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन के 30% समय में बोलने का अधिकार अपने पास रख लिया है। इस आरोप के पीछे TMC का तर्क है कि धनखड़ की अध्यक्षता में सदन की कार्यवाही में पारदर्शिता और निष्पक्षता का अभाव दिखाई दे रहा है। यह स्थिति विशेष रूप से उन मुद्दों पर चर्चा के दौरान सामने आई है, जिन पर विपक्ष के सदस्यों को बोलने का अवसर सीमित किया गया।

बैठक का महत्वपूर्ण बिंदु

राज्यसभा की हालिया बैठकों में, कुछ चुनिंदा मुद्दों पर चर्चा को बाधित किया गया है, जिसमें सरकार की नीतियों और उन पर विरोध के स्वर शामिल हैं। TMC नेताओं ने सदन में धनखड़ पर यह आरोप लगाया है कि वे अपनी पसंद के मुद्दों पर अधिक बोलते हैं, जबकी विपक्ष को जरूरी मुद्दों पर अपनी बात रखने से रोका जाता है। ऐसे में, TMC ने यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया है कि सभी सदस्यों को समान अवसर मिले और सदन की कार्यवाही में संतुलन बना रहे।

राज्यसभा का कार्यप्रणाली

राज्यसभा में सदस्यों के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है, ताकि सभी विचारों और आवाजों को सुना जा सके। इस स्थिति के साथ, सभी दलों को मिलकर कार्य करना चाहिए और सदन की कार्यवाही को लोकतांत्रिक तरीके से संचालित करना चाहिए। TMC के आरोप के बाद, राजनीतिक हलकों में उथल-पुथल मची हुई है और कई अन्य दल भी इस विषय पर अपनी चिंताओं का इज़हार कर रहे हैं।

News by PWCNews.com: यह मामला राज्यसभा में मौजूदा राजनीतिक स्थिति और कार्यप्रणाली को लेकर गहरे सवाल उठाता है। क्या सभापति धनखड़ अपने कर्तव्यों को निभाने में सक्षम हैं? इस पर चर्चा आगे भी होनी चाहिए।

निष्कर्ष

राज्यसभा में हो रही कार्यवाही को लेकर उठाए गए इस आरोप के परिणामस्वरूप, सभी पार्टियों को एकजुट होकर सदन के नियमों और निष्पक्षता की रक्षा करने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक सदस्य को अपनी आवाज़ उठाने का मौका मिले, सभी को सजग होना होगा।

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