लोहावती नदी का कायाकल्प: 55 करोड़ से शुरू होगी एक नई यात्रा
नदी में मिलने वाले गंदे नालों को टेप कर दूषित जल को किया जायेगा इनटेक के बाहर, डीएम के संज्ञान

लोहावती नदी का कायाकल्प: 55 करोड़ से शुरू होगी एक नई यात्रा
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कम शब्दों में कहें तो, चम्पावत में लोहावती नदी के कायाकल्प के लिए 55 करोड़ रुपये की एक साहसी पहल की गई है, जिसके तहत गंदे नालों को टेप कर दूषित जल को नदी के बाहर निकाला जाएगा।
कोविड-19 के बाद, जब पूरी दुनिया ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी चिंता जताई है, पीछे मुड़कर देखना जरूरी है कि हमारे प्राकृतिक संसाधनों की कितनी देखभाल की जा रही है। इस दिशा में, चम्पावत से एक महत्वपूर्ण पहल की खबर आई है। लोहावती नदी, जो पहले दुर्लभ मछलियों का निवास स्थान थी, अब 55 करोड़ रुपये की लागत से पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया गया है।
डीएम की पहल से मिली नई दिशा
लोहाघाट के जिलाधिकारी ने हाल ही में लोहावती नदी में गंदे नालों के समावेश की समस्या को गंभीरता से लिया है। अधिकारियों ने पाया कि नदियों में गंदे नालों का जल मिलना एक बड़ी चिंता का विषय है, जिससे नदियों का प्रदूषण बढ़ रहा है। दूषित जल को इनटेक के बाहर टेप करने की योजना बनाई गई है, ताकि नदी की मूल संरचना को बचाया जा सके। यह एक नई दिशा की ओर बढ़ने का प्रयास है।
कायाकल्प का विस्तृत स्वरूप
इस महत्वपूर्ण पहल का उद्देश्य केवल जल के शुद्धिकरण तक सीमित नहीं है। इसमें व्यापक वृक्षारोपण, किनारे की सफाई अभियान और स्थानीय समुदाय को जागरूक करना शामिल है। यह पहल न केवल लोहावती नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती प्रदान करेगी, बल्कि स्थानीय निवासियों को एक नई पहचान और अवसर भी देगी। इस तरह के कदम से न केवल जल का शुद्धिकरण होगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भी एक प्रभावी लड़ाई लड़ी जा सकेगी।
स्थानीय समुदाय और उनकी भूमिका
स्थानीय लोगों की भागीदारी इस अभियान को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाएगी। अधिकारियों का मानना है कि जब स्थानीय निवासी अपने आसपास की पर्यावरणीय स्थिति के प्रति जागरूक होंगे, तो वे इसके संरक्षण में सक्रिय भागीदार बनेंगे। इस प्रकार, न केवल नदी का संरक्षण होगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा, जिससे यहाँ के व्यवसाय भी फलफूल सकेंगे।
सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
लोहावती नदी का कायाकल्प न केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि जैव विविधता के लिए भी एक सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस परियोजना का सफल कार्यान्वयन न केवल भारतीय नदियों के संरक्षण के लिए एक मिसाल पेश करेगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी भविष्य का आधार भी बनाएगा।
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