उत्तराखंड का हरेला पर्व: सांस्कृतिक पुनरुत्थान और पर्यावरण संरक्षण का महापर्व

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला के पावन अवसर पर गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज परिसर, देहरादून में “हरेला का त्योहार मनाओ, धरती माँ का ऋण चुकाओ” थीम पर आयोजित राज्यव्यापी पौधारोपण कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए समस्त प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। इस अवसर […] The post हरेला हमारी संस्कृति और चेतना का पर्व : धामी appeared first on Uttarakhand News Update.

Jul 17, 2025 - 00:53
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उत्तराखंड का हरेला पर्व: सांस्कृतिक पुनरुत्थान और पर्यावरण संरक्षण का महापर्व

उत्तराखंड का हरेला पर्व: सांस्कृतिक पुनरुत्थान और पर्यावरण संरक्षण का महापर्व

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देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को लोकपर्व हरेला के उपलक्ष्य में गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज परिसर में “हरेला का त्योहार मनाओ, धरती माँ का ऋण चुकाओ” थीम के तहत एक राज्यव्यापी पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस पावन अवसर पर, उन्होंने सभी प्रदेशवासियों को हरेला पर्व की ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने रुद्राक्ष का पौधा रोपकर पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपने संकल्प को और मजबूत किया।

हरेला पर्व: हमारी संस्कृति और चेतना का उत्सव

मुख्यमंत्री धामी ने इस पर्व की गहराई को समझाते हुए कहा कि हरेला केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि यह उत्तराखंड की संस्कृति, प्रकृति और स्थानीय चेतना का महोत्सव है। यह पर्व हमें अपने पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारियों की ओर ध्यान दिलाता है। उन्होंने बताया कि इस हरेला पर्व पर राज्य में लगभग 5 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया है, जो हरित आवरण को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

सभी की सहभागिता आवश्यक

मुख्यमंत्री ने इस महाभियान में जनसहभागिता, स्वयंसेवी संगठनों, छात्र-छात्राओं, महिला समूहों और पंचायतों के सहयोग की महत्ता को बताया। उन्होंने कहा, "हम सभी का यह नैतिक कर्तव्य है कि हम लगाए गए पौधों की नियमित देखभाल करें, जब तक वे वृक्ष का रूप न ले लें।" इस प्रकार, उत्तराखंड के लोगों को अपने प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता के संरक्षण के लिए एकजुट होने की आवश्यकता है।

पर्यावरण संरक्षण की प्रयासों का विस्तार

मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'पंचामृत संकल्प' और 'नेट ज़ीरो इमिशन' जैसे अभियानों का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तराखंड में 'स्प्रिंग एंड रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी (SARRA)' का गठन, 6,500 से अधिक जल स्रोतों का संरक्षण करने में सहायता करेगा। यह राज्य सरकार की जल संरक्षण के प्रति गंभीरता को दर्शाता है।

विशेष आह्वान: पौधे लगाकर जीवन को समृद्ध करें

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को प्रेरित किया कि वे अपने जीने के खास अवसरों पर एक पौधा अवश्य लगाएं और उसकी देखभाल करें। उन्होंने कहा, "इस तरह से हम पर्यावरण संरक्षण को एक जनांदोलन में परिवर्तित कर सकते हैं।" हरेला पर्व हमें यह सिखाता है कि प्रकृति की रक्षा करना ना केवल हमारा जिम्मेदारी है, बल्कि यह एक पवित्र कार्य है।

सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में हरेला के पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो हमारी सांस्कृतिक चेतना का प्रमाण है। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि हरेला पर्व प्रदेश के 2,389 स्थानों पर मनाया जा रहा है, और पिछले तीन वर्षों में लगाए गए पौधों का जीवित रहने का दर 80 प्रतिशत से अधिक रहा है।

निष्कर्ष: पर्यावरणीय जागरूकता और सांस्कृतिक समृद्धि का संगम

मुख्यमंत्री धामी के प्रयासों से उत्तराखंड का हरेला पर्व केवल पौधारोपण का एक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक पवित्र अवसर है जो हमारी सांस्कृतिक विरासत, पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय चेतना का एक संगम है। इसकी सफलता पर्यावरण संरक्षण और हमारे सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

हर वर्ष प्रदेशवासियों की सक्रिय भागीदारी से यह पर्व और भी विशेष बनता जाएगा और हमें अपने पर्यावरण की रक्षा करने के लिए प्रेरित करेगा।

कम शब्दों में कहें तो, हरेला पर्व न केवल पर्यावरण सुरक्षा का प्रतीक है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक पहचान और सामूहिक चेतना का भी प्रतिनिधित्व करता है।

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सादर,
टीम PWC News – स्त्री नाम

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