बाबा की भक्ति में लीन जयदेव का दंडवत यात्रा से केदारनाथ प्रस्थान, 60 वर्षीय माता और 9 वर्षीय भतीजे के साथ भक्ति का अनुपम उदाहरण

रुद्रप्रयाग: देवभूमि एक बार फिर से आस्था और भक्ति की अनुपम मिसाल की साक्षी बन रही है। रुद्रपुर के दिनेशपुर क्षेत्र के रहने वाले जयदेव ने केदारनाथ धाम की ओर दंडवत यात्रा प्रारंभ की है। एक ऐसा संकल्प, जिसमें शरीर थक सकता है, पर भक्ति कभी नहीं। बीते 26 मई से शुरू हुई इस दिव्य […] The post बाबा की भक्ति में लीन जयदेव का दंडवत यात्रा से केदारनाथ प्रस्थान, 60 वर्षीय माता और 9 वर्षीय भतीजे के साथ भक्ति का अनुपम उदाहरण appeared first on Devbhoomisamvad.com.

Jul 27, 2025 - 09:53
 58  115.7k
बाबा की भक्ति में लीन जयदेव का दंडवत यात्रा से केदारनाथ प्रस्थान, 60 वर्षीय माता और 9 वर्षीय भतीजे के साथ भक्ति का अनुपम उदाहरण

बाबा की भक्ति में लीन जयदेव का दंडवत यात्रा से केदारनाथ प्रस्थान, 60 वर्षीय माता और 9 वर्षीय भतीजे के साथ भक्ति का अनुपम उदाहरण

रुद्रप्रयाग: देवभूमि एक बार फिर से आस्था और भक्ति की अनुपम मिसाल की साक्षी बन रही है। रुद्रपुर के दिनेशपुर क्षेत्र के रहने वाले जयदेव ने केदारनाथ धाम की ओर दंडवत यात्रा प्रारंभ की है। एक ऐसा संकल्प, जिसमें शरीर थक सकता है, पर भक्ति कभी नहीं।

बीते 26 मई से शुरू हुई इस दिव्य यात्रा में जयदेव अकेले नहीं हैं। उनके साथ उनकी 60 वर्षीय माता और 9 वर्षीय भतीजा आशीष भी शामिल हैं, जो इस कठिन मार्ग को अपनी श्रद्धा से सरल बना रहे हैं। जयदेव हर कदम पर दंडवत प्रणाम करते हुए आगे बढ़ रहे हैं, जबकि उनकी माता और भतीजा पैदल साथ चल रहे हैं। केदारनाथ बाबा के प्रति यह अद्भुत समर्पण और निष्ठा श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर रही है। मार्ग में स्थानीय लोग इनके लिए जल, भोजन और विश्राम की व्यवस्था कर रहे हैं। क्योंकि सब इसे बाबा के चमत्कार और भक्ति का प्रमाण मानते हैं।

भक्ति की विशेषता और यात्रा का संकल्प

जयदेव का कहना है कि यह यात्रा उन्होंने बाबा के आशीर्वाद से ही प्रारंभ की है और जब तक बाबा केदारनाथ के दरबार में साक्षात उपस्थिति नहीं देंगे, तब तक यह तपस्वी प्रयास जारी रहेगा। उन्होंने हरिद्वार से गंगाजल लेकर आए हैं, जिसे बाबा केदारनाथ को चढ़ाने का उनका विशेष संकल्प है। इस पूरी यात्रा के दौरान, जयदेव, उनकी माता, और भतीजा एक-दूसरे को प्रेरित करते हुए आगे बढ़ रहे हैं, जो इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

स्थानीय समुदाय का सहयोग

इस यात्रा के दौरान स्थानीय समुदाय का सहयोग भी अनिवार्य है। रुद्रप्रयाग क्षेत्र में जयदेव और उनके परिवार की सेवा के लिए कई झोपड़ियों और शिविरों का आयोजन किया जा रहा है, जहाँ श्रद्धालुओं के लिए जल, भोजन, और विश्राम की व्यवस्था की जा रही है। ऐसे में, इस यात्रा ने न केवल भक्ति की एक नई मिसाल पेश की है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के बीच सहयोग और एकता का प्रतीक भी बन गई है।

समर्पण और प्रेरणा का अद्भुत उदाहरण

जयदेव की इस यात्रा को देखकर हर कोई उनकी भक्ति और समर्पण की भावना को सराह रहा है। यह उदाहरण निश्चित रूप से सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बना है। भक्ति के इस अनुपम स्वरूप ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी कठिनाईका सामना करने के लिए केवल श्रद्धा और विश्वास की आवश्यकता होती है।

रुद्रप्रयाग की धरती पर इस प्रकार की भक्ति की घटनाएँ जनमानस में नई ऊर्जा का संचार करती हैं। कि कैसे एक साधारण व्यक्ति अपनी आस्था की शक्ति से अद्वितीय कार्य कर सकता है। यह समर्पण सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।

निष्कर्ष

जयदेव की दंडवत यात्रा केवल एक व्यक्तिगत यात्रा नहीं है, बल्कि यह भक्ति और श्रद्धा की असीम शक्ति का प्रतीक है। 60 वर्षीय माता और 9 वर्षीय भतीजे के साथ यह यात्रा हमें यह सिखाती है कि जीवन में कठिनाइयाँ आ सकती हैं, पर भक्ति का मार्ग कभी नहीं रुकता। जयदेव और उनके परिवार के साथ चलने वाले सभी श्रद्धालु इस भक्ति का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसने सभी को एक नई प्रेरणा दी है।

अंततः, हम सभी को जयदेव से सीख लेकर अपनी आस्था को और भी मजबूत करने की आवश्यकता है। किसी भी धार्मिक यात्रा का उद्देश्य सिर्फ स्थान तक पहुँचना नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और संतोष को प्राप्त करना है।

श्री केदारनाथ धाम की इस यात्रा के लिए जयदेव एवं उनके परिवार को ढेर सारी शुभकामनाएँ!

Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - pwcnews

Keywords:

Kedarnath Yatra, Bhakti, Devotion, Jai Dev, Dandavat Yatra, Indian culture, Religious pilgrimage, Rishikesh, Hindu faith, Spiritual journey

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow