बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र ने की मुख्यमंत्री धामी से मुलाकात,विश्व में सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर तुंगनाथ के संरक्षण की कही बात।
श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने आज सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट कर तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री धामी को पत्र भी दिया। उल्लेखनीय है कि रुद्रप्रयाग जनपद अंतर्गत तुंगनाथ मंदिर समुद्र तल से […] The post बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र ने की मुख्यमंत्री धामी से मुलाकात,विश्व में सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर तुंगनाथ के संरक्षण की कही बात। appeared first on Uttarakhand News Update.

बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र ने की मुख्यमंत्री धामी से मुलाकात,विश्व में सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर तुंगनाथ के संरक्षण की कही बात
श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने आज सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया और मुख्यमंत्री को इस संबंध में एक पत्र भी सौंपा। यह बैठक न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के संग संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
तुंगनाथ मंदिर: एक ऐतिहासिक दृष्टि
तुंगनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग जनपद में समुद्र तल से 12,073 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जिससे यह विश्व का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसे पंच केदारों में से तृतीय केदार के रूप में पूजा जाता है, जो इसकी पौराणिकता को बढ़ाता है। अजेंद्र ने कहा कि तुंगनाथ मंदिर भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है और इसे संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक है।
संरक्षण के लिए आवश्यक उपाय
मुख्यमंत्री से की गई मुलाकात के दौरान, अजेंद्र ने तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में सूक्ष्म भू-धंसाव ने मंदिर की संरचना पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। मंदिर के पत्थरों में दरारें और बरसात में पानी रिसने की समस्याएं बढ़ रही हैं, जिससे गर्भ गृह की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है।
अजेंद्र ने स्पष्ट किया कि तुंगनाथ मंदिर बीकेटीसी के अधीन है और उनके अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने व्यापक कार्य योजना तैयार की थी। इसके अंतर्गत जीर्णोद्वार, मरम्मत कार्य और सौंदर्यीकरण जैसी योजनाएं सम्मिलित थीं। इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं से विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट भी मांगी गई थी।
भविष्य की योजना और प्रशासनिक कार्रवाई
पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र ने बताया कि उनके कार्यकाल के दौरान प्रदेश सरकार से जीर्णोद्वार के कार्यों की अनुमति भी ली गई थी। हालांकि, उनके कार्यकाल के समाप्त होने के बाद शासन ने नए बोर्ड का गठन किया है। इस परिवर्तन के बीच, तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण की दिशा में तात्कालिक कदम उठाए जाने की अपील उन्होंने की।
निष्कर्ष
इस बैठक से यह स्पष्ट होता है कि तुंगनाथ मंदिर केवल धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल हिस्सा है। राज्य सरकार को इस दिशा में ठोस कार्रवाई करनी चाहिए ताकि तुंगनाथ मंदिर की भव्यता और सांस्कृतिक महत्व को नुकसान न पहुंच सके। मंदिरों के संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं।
यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण करें और उन्हें भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखें। इसके लिए हमें स्थानीय समुदायों, विशेषज्ञों और सरकार के बीच सहयोग की आवश्यकता है।
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