हरेला पर्व पर डांडा लखौंड (वार्ड 60) में वृक्षारोपण, पुरानी स्थल को समतल कर हुआ नवरोपण
मेयर ने आंखें मूंदी डांडा लखौंड (वार्ड 60) में हरेला पर्व के अवसर पर वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित, पुरानी स्थल को समतल कर किया गया नवरोपण देहरादून। उत्तराखंड की लोकसंस्कृति में विशेष स्थान रखने वाले हरेला पर्व के अवसर पर नगर निगम देहरादून के वार्ड संख्या 60 डांडा लखौंड में वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। […] The post हरेला पर्व पर डांडा लखौंड (वार्ड 60) में वृक्षारोपण, पुरानी स्थल को समतल कर हुआ नवरोपण appeared first on Uttarakhand News Update.

हरेला पर्व पर डांडा लखौंड (वार्ड 60) में वृक्षारोपण, पुरानी स्थल को समतल कर हुआ नवरोपण
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देहरादून, उत्तराखंड: हरेला पर्व के अवसर पर, नगर निगम देहरादून ने वार्ड संख्या 60 डांडा लखौंड में वृक्षारोपण कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया। मेयर ने इस विशेष अवसर पर आंखें मूंदी, और इस आयोजन का हिस्सा बनते हुए नई पौधों का रोपण किया। यह कार्यक्रम न केवल पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक था, बल्कि उत्तराखंडी लोकसंस्कृति और परंपराओं को संजोने की प्रेरणा भी देता है।
वृक्षारोपण की आवश्यकता
आज के दौर में, जब प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या बन चुकी है, वृक्षारोपण न केवल हमारी ज़िम्मेदारी है, बल्कि यह हमारे भविष्य के लिए भी अनिवार्य है। हरेला पर्व पर वृक्षारोपण का आयोजन हमें इस महत्वपूर्ण कार्य के प्रति जागरूक करता है। डांडा लखौंड में आयोजित इस कार्यक्रम ने स्थानीय निवासियों में इस दिशा में एक नई ऊर्जा भरी है।
पुरानी स्थल का समतलीकरण और नया पौधारोपण
इस वर्ष के वृक्षारोपण में विशेष बात यह रही कि पुराने स्थल को समतल किया गया, जिससे वहाँ पहले लगाए गए पौधों की देखभाल और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। पिछले वर्ष जहां पौधे रोपे गए थे, वहाँ अब फिर से नए पौधों का रोपण किया गया। इस कार्य से स्पष्ट होता है कि वृक्षारोपण केवल एक प्रतीकात्मक क्रिया नहीं, बल्कि इसकी निरंतर देखभाल और समर्पण की आवश्यकता होती है।
समुदाय की सहभागिता
कार्यक्रम में क्षेत्रीय पार्षद, स्थानीय नागरिक, स्कूली छात्र-छात्राएं और पर्यावरण प्रेमियों ने भाग लिया। सभी ने मिलकर विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण किया जिसमें फलदार, छायादार और औषधीय पौधे शामिल रहे। इस छोटे से कार्यक्रम ने सभी को एकजुट होकर पर्यावरण की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और दृढ़ता प्रकट करने का मौका दिया।
पर्यावरण की ओर सामूहिक प्रतिबद्धता
कार्यक्रम के अंत में सभी participants ने पौधों की देखभाल करने का संकल्प लिया और “जय हरेला – जय वृक्षारोपण” के नारों के साथ पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह पहल न केवल डांडा लखौंड की तस्वीर को बदलने में कामयाब रही, बल्कि पूरे शहर में वृक्षारोपण के महत्व को समझाने का भी एक सशक्त माध्यम बनी।
निष्कर्ष
हरेला पर्व का यह वृक्षारोपण कार्यक्रम हमारे लिए एक प्रेरणा है, जो हमें बताता है कि प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना कितना महत्वपूर्ण है। इस तरह के आयोजनों से हम केवल वातावरण को ही नहीं बल्कि अपनी संस्कृति को भी सहेजते हैं। वृक्षारोपण की इस परंपरा को आगे बढ़ाना हम सभी का कर्तव्य है। इसके साथ ही, हम सभी को मिलकर अपने आस-पास के पर्यावरण को सुरक्षित और स्वच्छ रखना चाहिए।
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