भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते में क्या था डॉ. मनमोहन सिंह का रोल, जानें कैसे रचा इतिहास

भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते में डॉ. मनमोहन सिंह का अहम रोल था। उन्होंने इसके जरिये भारत-अमेरिका के बीच रिश्तों की एक नई शुरुआत की थी और इसके लिए अपने राजनीतिक भविष्य तक को दांव पर लगा दिया। यह कहना है अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस का।

Dec 28, 2024 - 13:00
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भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते में क्या था डॉ. मनमोहन सिंह का रोल, जानें कैसे रचा इतिहास

भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते में डॉ. मनमोहन सिंह का अनमोल योगदान

भारत और अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु समझौता, जिसे 2008 में अंतिम रूप दिया गया, एक ऐतिहासिक क्षण था। यह समझौता न केवल दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूती प्रदान करने का काम करता है, बल्कि यह वैश्विक परमाणु सुरक्षा और प्रतिस्पर्धा में भी महत्वपूर्ण गति लाता है। इस समझौते का मुख्य श्रेय तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को जाता है, जिन्होंने इसे सफल बनाने में अपनी बुद्धिमत्ता और राजनीतिक कौशल का परिचय दिया।

समझौते का आधार

इस समझौते का मुख्य उद्देश्य भारत को असैन्य परमाणु ऊर्जा के लिए आवश्यक तकनीक और आपूर्ति की सुनिश्चितता प्रदान करना था। इसके तहत भारत को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के तहत अपने परमाणु संयंत्रों की निगरानी करने की अनुमति दी गई। डॉ. मनमोहन सिंह ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश से अत्यधिक महत्वपूर्ण वार्ताएँ की, जिन्होंने इस समझौते के लिए समर्थन दिया।

डॉ. मनमोहन सिंह की भूमिका

डॉ. मनमोहन सिंह ने न केवल घरेलू मुद्दों को सुलझाने में योगदान दिया, बल्कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को भी मजबूत किया। उन्होंने संसद में और वैश्विक मंच पर इस समझौते के फायदों को स्पष्ट किया, जिससे देश के भीतर और बाहर दोनों ही जगह समझौते के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बना। उनकी लीडरशिप ने असैन्य परमाणु समझौते को एक मजबूत और समृद्ध भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बना दिया।

समझौते के प्रभाव

भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता न केवल ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देता है, बल्कि यह सैन्य सहयोग और रणनीतिक साझेदारी को भी मजबूती प्रदान करता है। इस समझौते के बाद, भारत ने अपनी परमाणु नीति में भी बदलाव किया और क्षेत्रीय सुरक्षा को बेहतर बनाने का प्रयास किया। हालांकि, कुछ आलोचकों का मानना था कि यह समझौता भारत की स्वतंत्रता को सीमित कर सकता है, लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह ने इस मामले में तर्क और समझौते की सख्ती के साथ गहराई से विचार किया।

निष्कर्ष

भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता एक महत्वपूर्ण मोड़ था जो भारत को अंतरराष्ट्रीय जगत में एक नई पहचान दिलाने में सहायक रहा। डॉ. मनमोहन सिंह की दृढ़ता और दृष्टिकोण ने इस ऐतिहासिक समझौते को संभव बनाया और इसे सफल किया। यह समझौता दिखाता है कि कैसे एक सक्षम नेता विश्व मंच पर सामरिक संबंधों को सुदृढ़ कर सकता है।

News by PWCNews.com

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