क्या शराब की दुकानों और पबों में उम्र जांच की व्यवस्था है? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब - PWCNews
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में गैर सरकारी संगठन ने कहा कि देश में मौजूद कई नशामुक्ति केंद्रों से एकत्र आंकड़ों के अनुसार, हर पांच में से एक मरीज 16 से 19 साल के बीच का है।
क्या शराब की दुकानों और पबों में उम्र जांच की व्यवस्था है?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार से शराब की दुकानों और पबों में उम्र जांच की व्यवस्था के बारे में उत्तर मांगा है। यह मामला तब सामने आया जब यह बात उठी कि क्या उचित उम्र की जांच की जा रही है, ताकि युवा और कम उम्र के लोग शराब खरीदने से बच सकें।
उम्र जांच की वर्तमान व्यवस्था
भारत में, अल्कोहल की खरीद के लिए न्यूनतम उम्र अलग-अलग राज्यों के लिए भिन्न होती है। कुछ राज्यों में यह 18 वर्ष है, जबकि अन्य में यह 21 वर्ष तक हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया है कि क्या सभी राज्यों में लागू की जा रही व्यवस्था सही तरीके से कार्यान्वित की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट की मांग
इस मुद्दे पर अधिक प्रभावी निगरानी के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि क्या उपाय किए जा रहे हैं ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि शराब खरीदने वाले का सही उम्र की जांच की जा रही है।
महत्व और सामाजिक प्रभाव
यदि उम्र जांच की व्यवस्था सख्ती से लागू नहीं की जा रही है, तो इसका सामाजिक प्रभाव गंभीर हो सकता है। युवा पीढ़ी पर शराब के प्रभाव का अध्ययन किया जाना आवश्यक है, क्योंकि यह न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, बल्कि समाज में अन्य विभिन्न मुद्दों का कारण भी बन सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की इस मांगे के पीछे युवा पीढ़ी के स्वास्थ्य और सुरक्षा की चिंता है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी आयु वर्ग के लोग सुरक्षित वातावरण में रह सकें और अपनी सुरक्षा का सम्मान कर सकें।
आने वाले दिनों में यह देखना रोचक होगा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया देती है और क्या कोई नई नीति इस दिशा में लाई जाएगी।
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उपसंहार
इस मुद्दे पर अधिक जानकारी के लिए हमें लगातार देखते रहना होगा। उपयुक्त नीतियों के विकास से हम युवा पीढ़ी को सही दिशा में ले जा सकते हैं। इस मामले में आपका क्या विचार है?
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