Delhi High Court सरकार से डीपफेक को रोकने के लिए कौन से कदम उठाए गए? - रजत शर्मा की याचिका | PWCNews
दिल्ली हाई कोर्ट ने इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से डीपफेक टेक्नोलॉजी के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए किये गए उपायों पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा डीपफेक रोकने के कदम: रजत शर्मा की याचिका
दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में डीपफेक तकनीक के बढ़ते दुरुपयोग को रोकने के लिए महत्वपूर्ण सुनवाई की। उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की और केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा कि वे इस मामले में कौन से कदम उठा रहे हैं। यह याचिका प्रसिद्ध पत्रकार रजत शर्मा द्वारा दायर की गई थी, जिसमें डीपफेक के नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताया गया था।
डीपफेक क्या है?
डीपफेक एक नई तकनीक है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करके वीडियो और ऑडियो को यथार्थवादी तरीके से परिवर्तित करती है। इस तकनीक के दुरुपयोग के चलते गलत जानकारियां फैली हैं, जो व्यक्तियों और समाज के लिए गंभीर परिणाम ला सकती हैं।
रजत शर्मा की याचिका का महत्व
रजत शर्मा ने अदालत में यह याचिका दाखिल की ताकि सरकार इस विषय पर प्रभावी उपाय करे। उनका मानना है कि इस तकनीक के निरंतर बढ़ते उपयोग को रोकने के लिए ठोस कानून और दिशा-निर्देशों की आवश्यकता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि उचित कदम नहीं उठाए जाते हैं, तो यह तकनीक समाज में अविश्वास और अन्य समस्याओं को जन्म दे सकती है।
केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदम
दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देशित किया कि वे जांच करें कि किन उपायों पर विचार किया जा रहा है, जैसे कि नियामकीय ढांचे को मजबूत करना और नागरिकों को इस तकनीक के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करना। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि ऐसी तकनीकों के दुरुपयोग को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की आवश्यकता हो सकती है।
निष्कर्ष
डीपफेक तकनीक एक चुनौतीपूर्ण मुद्दा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दिल्ली हाई कोर्ट की यह पहल एक सकारात्मक दिशा में कदम है जो उम्मीद करती है कि सरकार इस समस्या को गंभीरता से लेगी। यह सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए एक सतर्कता का समय है।
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