देवानंद के भांजे ने CA की नौकरी छोड़कर बने डायरेक्टर; टैलेंट ने पहुंचाया ओस्कर तक | PWCNews
शेखर कपूर सिनेमा जगत का जाना-माना नाम हैं। फिल्म उद्योग में शेखर कपूर को 'मासूम', 'मिस्टर इंडिया' और 'बैंडिट क्वीन' जैसी बेहतरीन फिल्मों के लिए जाना जाता है। शेखर कपूर हिंदी सिनेमा के वो डायरेक्टर हैं, जिन्होंने बतौर एक्टर भी काम किया, लेकिन उन्हें जो पहचान निर्देशन ने दिलाई वो एक्टिंग नहीं दिला पाई।
देवानंद के भांजे ने CA की नौकरी छोड़कर बने डायरेक्टर
एक अद्भुत यात्रा के तहत, देवानंद के भांजे ने अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की नौकरी को छोड़कर फिल्म उद्योग में कदम रखा और डायरेक्टर के रूप में पहचान बनाई है। यह कहानी न केवल उनके संघर्ष और प्रयासों को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि टैलेंट के पास किसी भी उद्योग में उच्चता प्राप्त करने की योग्यता होती है।
सीए से डायरेक्टर तक का सफर
सीए की नौकरी करने के दौरान, उन्होंने हमेशा अपने अंदर के कलाकार को पहचानने का प्रयास किया। जब वो महसूस करने लगे कि उनका असली जुनून फिल्म निर्देशन में है, तब उन्होंने अपनी सुरक्षित नौकरी छोड़ने का साहसिक निर्णय लिया। इस निर्णय ने उन्हें अपने सपनों को पूरा करने का मौका दिया। अब, उन्होंने खुद को एक स्थापित डायरेक्टर के रूप में साबित किया है, जिसने अपनी कला का लोहा भी मनवाया है।
ओस्कर तक पहुंचने की कहानी
उनकी मेहनत और प्रतिभा ने उन्हें ओस्कर तक पहुँचाया। फिल्म उद्योग में अपनी अद्भुत उपस्थिति के चलते, उन्होंने कई प्रतिष्ठित प्रोजेक्ट्स पर काम किया है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें इस उच्चतम सम्मान के लिए नामांकित किया गया। यह सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि उनके परिवार और प्रशंसकों के लिए भी गर्व का पल है।
समाप्ति
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि कभी-कभी जोखिम लेने से ही बड़े अवसर मिलते हैं। प्रतिभा को पहचानने और उसे आगे बढ़ाने के लिए साहस दिखाना आवश्यक है। देवानंद के भांजे की इस यात्रा ने यह सिद्ध कर दिया है कि जुनून, मेहनत और धैर्य के साथ, कोई भी अपने सपनों को साकार कर सकता है।
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