पंचायत चुनावों पर संदेह, हाईकोर्ट में कल होगी महत्वपूर्ण सुनवाई

नैनीताल, खबर संसार। पंचायत चुनाव पर संशय बरकरार, हाईकोर्ट में अब कल को होगी सुनवाई जी, हां हाई कोर्ट ने राज्य के 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर के विरुद्ध दायर विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई की। कोर्ट ने सरकार की दलीलों से सहमत होते याचिकर्ताओं से आरक्षण के गलत निर्धारण से संबंधित […] The post पंचायत चुनाव पर संशय बरकरार, हाईकोर्ट में अब कल को होगी सुनवाई appeared first on Khabar Sansar News.

Jun 26, 2025 - 18:53
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पंचायत चुनावों पर संदेह, हाईकोर्ट में कल होगी महत्वपूर्ण सुनवाई

पंचायत चुनावों पर संदेह, हाईकोर्ट में कल होगी महत्वपूर्ण सुनवाई

नैनीताल, समाचार PWC News। पंचायत चुनावों के मुद्दे पर चल रहे विवादों ने राज्य की राजनीतिक नैतिकता को संदेह के घेरे में ला दिया है। उच्च न्यायालय ने राज्य के 12 जिलों में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के आरक्षण रोस्टर के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई कल निर्धारित की है। न्यायालय ने सरकार की प्रस्तुतियों का समर्थन करते हुए, याचिकाकर्ताओं से आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया में स्पष्टता प्रस्तुत करने की मांग की है। फिलहाल, चुनाव प्रक्रिया पर रोक जारी है, और अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।

सुनवाई का विस्तार

यह सुनवाई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की पीठ में गुरुवार को हुई। महाधिवक्ता एसएल बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर पुराने आरक्षण रोस्टर को शून्य घोषित करना आवश्यक था। याचिकाओं में यह भी कहा गया है कि 9 जून को जारी नियमावली की कोई गज़ट नोटिफिकेशन नहीं दी गई, जिससे चुनाव प्रक्रिया में अव्यवस्था उत्पन्न हुई है।

सरकार का दृष्टिकोन

सरकार ने चुनाव प्रक्रिया पर लगे रोक को हटाने का निवेदन किया है। सरकार का दावा है कि जो प्रक्रिया शुरू की गई थी, वह नियमों के अनुकूल है। बागेश्वर जिले के गणेश कांडपाल और अन्य ने याचिकाएं दायर की हैं, जिसमें राज्य द्वारा 9 और 11 जून को जारी नियमावली को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह निर्णय कोर्ट के पूर्व आदेशों का उल्लंघन करता है और इसकी संवैधानिकता संदिग्ध है।

चुनाव प्रक्रिया पर प्रश्न

चुनाव प्रक्रिया में रोक लगने से यह सवाल उठता है कि सरकार ने गज़ट नोटिफिकेशन से पहले दी गई जानकारियों का पालन क्यों नहीं किया। एक सरकारी चूक के कारण चुनावी प्रक्रिया संकट में पड़ गई है, जिससे आम जनता और राजनीतिक दलों के बीच निराशा का माहौल पैदा हुआ है। यदि समय पर निर्णय नहीं लिया गया, तो पंचायत चुनावों में विलंब होना स्वाभाविक है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर डाल सकता है।

भविष्य की संभावनाएं

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आरक्षण निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है। यदि इस पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो प्रदेश में चुनावी अनिश्चितता बढ़ सकती है, जो विधायकों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कोर्ट के निर्णय के बाद सरकार और संबंधित पक्ष किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।

जैसे-जैसे सुनवाई का दिन निकट आ रहा है, लोगों के मन में अनिश्चितता बढ़ती जा रही है। निर्वाचन आयोग को इस संकट से निपटने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देशों की आवश्यकता है ताकि चुनाव प्रक्रिया सुगम हो सके।

कम शब्दों में कहें तो, पंचायत चुनावों की प्रक्रिया पर संशय बनी हुई है और इसका समाधान हाईकोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा। अधिक जानकारी के लिए, कृपया हमारे साप्ताहिक अपडेट्स के लिए pwcnews पर जाएं।

टीम PWC न्यूज़

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