भारत-ब्रिटेन FTA समझौता क्यों नहीं हो पा रहा, पूर्व ब्रिटिश मंत्री ने खोली अपनी ही पोल - उद्योगगर्दिनीNews

भारत और ब्रिटेन के बीच लंबे समय से प्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) पर कई दौर की वार्ताएं होने के बाद भी किसी अंतिम नतीजे तक नहीं पहुंचा जा सका है। इस बीच ब्रिटेन की एक पूर्व मंत्री ने इस समझौते को लेकर अपनी ही पोल खोल दी है।

Oct 19, 2024 - 18:53
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भारत-ब्रिटेन FTA समझौता क्यों नहीं हो पा रहा, पूर्व ब्रिटिश मंत्री ने खोली अपनी ही पोल - उद्योगगर्दिनीNews

भारत-ब्रिटेन FTA समझौता क्यों नहीं हो पा रहा?

भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार समझौता (FTA) की चर्चा काफी समय से हो रही है, लेकिन आगे बढ़ने में बार-बार रुकावटें आ रही हैं। हाल ही में, पूर्व ब्रिटिश मंत्री ने इस मामले पर कुछ महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं, जो इस बातचीत की जटिलताओं को उजागर करते हैं।

समझौते में प्रमुख बाधाएँ

FTA संबंधी चर्चा में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जैसे कृषि उत्पादों की पहुंच, फर्मों के लिए नीतिगत सुरक्षा, और श्रम मानकों का पालन। इन मुद्दों के बीच एक कठिन संतुलन बनाना जरूरी है ताकि दोनों देशों के हित सुरक्षित रह सकें। पूर्व मंत्री ने ये भी बताया कि इन मुद्दों पर आम सहमति बनाना चुनौतीपूर्ण हो रहा है।

पूर्व ब्रिटिश मंत्री का बयान

पूर्व ब्रिटिश मंत्री ने अपनी बात में साफ किया कि व्यापार समझौते के लिए आवश्यक राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में वर्तमान सरकार के अंदर विभिन्न धड़ें और उनके दृष्टिकोण इस प्रक्रिया को जटिल बना रहे हैं। भारत के साथ FTA को लेकर जो उत्साह था, वह धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।

भारत का दृष्टिकोण

भारत इस समझौते को अपने लिए एक महत्वपूर्ण अवसर मानता है। भारत की सरकार स्पष्ट है कि न केवल व्यापार को बढ़ाना है, बल्कि सभी पक्षों के लिए एक लाभकारी ढांचा भी सुनिश्चित करना है। भारतीय उद्योग संगठन भी इस समझौते के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, लेकिन आवश्यक शर्तों पर सहमति होना बहुत जरूरी है।

भविष्य की संभावनाएँ

जबकि भारत-ब्रिटेन FTA की राह में कई बाधाएँ हैं, फिर भी इसमें सकारात्मक परिवर्तन की उम्मीदें बनी हुई हैं। समय के साथ, उम्मीद की जा सकती है कि दोनों पक्ष बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे।

News by PWCNews.com

संक्षेप में

भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए समझौता क्यों नहीं हो पा रहा, इसके पीछे की जटिलताओं को समझने के लिए पूर्व ब्रिटिश मंत्री के बयान को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है। यह व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन पहले सभी मुद्दों पर सहमति बनाना जरूरी है।

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