सोनप्रयाग में केदारनाथ यात्रियों पर लाठीचार्ज, कांग्रेस ने सरकार को घेरा
सोनप्रयाग, केदारनाथ यात्रा मार्ग के जो दृश्य सामने आए हैं, वो “अतिथि देवो भव” की...

सोनप्रयाग में केदारनाथ यात्रियों पर लाठीचार्ज, कांग्रेस ने सरकार को घेरा
दिल्ली: उत्तराखंड के सोनप्रयाग में केदारनाथ यात्रा कर रहे श्रद्धालुओं पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने की घटना ने एक बार फिर सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश सरकार को घेरने का प्रयास किया है, इस दौरान उन्होंने अपनी भड़ास निकालते हुए कई सवाल उठाए। "अतिथि देवो भव" की भारतीय संस्कृति को दरकिनार कर श्रद्धालुओं पर लाठीचार्ज की कार्रवाई को छुपाने के लिए कांग्रेस ने यह मामला उठाया है।
घटना का वर्णन
सोनप्रयाग से केदारनाथ जाने वाले यात्रियों की बढ़ती संख्या के कारण प्रशासन ने यात्रा पर रोकियाँ लगाई थीं। दौरे के दौरान, जब लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आए थे, तभी अचानक स्थिति बेकाबू हो गई। कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने शासन की कुप्रबंधन को इसका मुख्य कारण बताया। उनके अनुसार, सरकार ने स्थिति को संभालने के लिए केवल लाठीचार्ज का ही सहारा लिया।
कांग्रेस का आरोप
गरिमा मेहरा ने कहा, "क्या यह सही है कि जब रेड अलर्ट जारी था, तब श्रद्धालुओं पर बर्बरता से लाठियाँ चलाना ही उचित विकल्प था? क्या लाउडस्पीकर से जानकारी देकर लोगों को नहीं सूचित किया जा सकता था?" उनका मानना है कि यह कार्रवाई भाजपा सरकार की असंवेदनशीलता और प्रशासनिक विफलता को दर्शाती है।
श्रद्धालुओं की भावनाएँ
गौरतलब है कि यह घटना केवल एक प्रशासनिक भूल नहीं है, बल्कि यह श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं के प्रति आवश्यक सम्मान की कमी भी दिखाती है। गरिमा मेहरा ने कहा कि “देवभूमि” में भगवान शिव के भक्तों के साथ इस प्रकार की बर्बरता का होना बेहद निंदनीय है। उन्होंने इस तरह की घटनाओं को रोकने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि आस्था को लाठी से दबाना नहीं चाहिए।
समाज पर प्रभाव
इस घटना का समाज पर लंबे समय तक प्रभाव पड़ेगा, खासकर उन तीर्थयात्रियों पर जो धार्मिक आस्था के लिए यात्रा करते हैं। यात्रा केवल धार्मिक स्थानों का दौरा नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चारधाम यात्रा उत्तराखंड की पहचान और अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार भी है।
समापन
गौर से देखने पर यह स्पष्ट होता है कि सरकार को श्रद्धालुओं की सुरक्षा, उनकी भावनाओं और उनके अधिकारों के प्रति संवेदनशील रहने की आवश्यकता है। अत्यधिक भीड़ और यात्रा पर रोकने की आवश्यकता को देखते हुए नेताओं और प्रशासन को मिलकर एक ठोस योजना बनानी होगी ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
अतः यह समय है जब सरकार को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए, ताकि इस प्रकार की नकारात्मकता को दूर किया जा सके। कांग्रेस की आक्रामकता के चलते सरकार की कार्यशैली पर गंभीरता से विचार किए जाने की आवश्यकता है।
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संपादकीय टीम द्वारा: सुष्मिता राव, प्रिया सिंह, विनीता शर्मा, टीम pwcnews
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