पहले बेल्ट और लाठियों से पीटा, फिर पानी मांगने पर गिलास में थूक कर दिया; केरल में छात्र की खौफनाक रैगिंग

केरल से खौफनाक रैगिंग का एक मामला सामने आया है। यहां के तिरुवनंतपुरम में एक सरकारी कॉलेज के छात्र ने अपने सीनियर्स पर बेहद क्रूर रैंगिंग करने का आरोप लगया है।

Feb 18, 2025 - 13:53
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पहले बेल्ट और लाठियों से पीटा, फिर पानी मांगने पर गिलास में थूक कर दिया; केरल में छात्र की खौफनाक रैगिंग

पहले बेल्ट और लाठियों से पीटा, फिर पानी मांगने पर गिलास में थूक कर दिया; केरल में छात्र की खौफनाक रैगिंग

केरल से आई एक दिल दहला देने वाली घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय बल्कि पूरे भारत को हिला कर रख दिया है। एक छात्र को उसके जूनियर्स द्वारा रैगिंग के तहत बेल्ट और लाठियों से पीटा गया, और जब उसने पानी मांगा, तो उसके गिलास में थूक दिया गया। यह घटना न केवल इस युवक के लिए शारीरिक रूप से पीड़ादायक थी, बल्कि मानसिक रूप से भी उसे भयानक अनुभव से गुजरना पड़ा। इस तरह की रैगिंग एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जो छात्रों के बीच भय और आतंक का माहौल पैदा करती है।

रैगिंग की घटनाओं का बढ़ता ग्राफ़

हाल के वर्षों में भारत में रैगिंग की घटनाएं बढ़ी हैं, खासकर कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में। यह एक गंभीर मुद्दा बन गया है जिसके लिए सख्त कानूनों और जागरूकता की आवश्यकता है। रैगिंग की इस नवीनतम घटना ने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा पर चर्चा को नई धार दी है।

क्या हैं रैगिंग के कारण?

रैगिंग के पीछे कई कारण होते हैं, जिसमें जूनियर्स के प्रति सीनियर्स का अति-प्रतिक्रिया देना और अपनी शक्ति का अहसास कराना शामिल हैं। यह एक कुप्रथा है जो कॉलेज के वातावरण को विषाक्त बनाती है। रैगिंग का शिकार होने वाले छात्रों में आत्म-सम्मान की कमी और भय का वातावरण बढ़ता है, जो उनकी पढ़ाई और भविष्य को प्रभावित कर सकता है।

संविधान और कानूनी प्रावधान

भारत में रैगिंग के खिलाफ कई कानूनी प्रावधान हैं, लेकिन इनका सही ढंग से पालन नहीं किया जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसी घटनाओं की गंभीरता को समझे और उचित कार्रवाई करें। छात्रों को भी चाहिए कि वे रैगिंग के खिलाफ आवाज उठाएं और अपनी सुरक्षा के लिए उपाय करें।

समाज की जिम्मेदारी

यह समाज की जिम्मेदारी है कि वह रैगिंग की कुप्रथा को समाप्त करने के लिए प्रयास करे। छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को मिलकर एक ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहां शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान अर्जन न हो, बल्कि एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में होना चाहिए।

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