विकास दिव्यकीर्ति पर भड़के डायरेक्टर, बोले- 'फिल्म बनाना कलेक्टर बनने से ज्यादा मुश्किल', UPSC इंटरव्यू में होता है जिक्र

डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म 'एनिमल' भले ही बॉक्स ऑफिस पर हिट रही थी। लेकिन इसके बाद भी फिल्म को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। अब इसको लेकर डायरेक्टर ने भी करारा जवाब दिया है।

Mar 2, 2025 - 15:00
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विकास दिव्यकीर्ति पर भड़के डायरेक्टर, बोले- 'फिल्म बनाना कलेक्टर बनने से ज्यादा मुश्किल', UPSC इंटरव्यू में होता है जिक्र

विकास दिव्यकीर्ति पर भड़के डायरेक्टर, बोले- 'फिल्म बनाना कलेक्टर बनने से ज्यादा मुश्किल'

फिल्म इंडस्ट्री में अक्सर सुर्खियाँ बटोरने वाले विकास दिव्यकीर्ति ने हाल ही में एक अनोखे सवाल का सामना किया। एक डायरेक्टर ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "फिल्म बनाना कलेक्टर बनने से ज्यादा मुश्किल है।" इस बयान ने केवल फिल्म निर्माताओं के कठिनाइयों को ही उजागर नहीं किया, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे सिनेमा और प्रशासन का ताल्लुक आपस में होता है। विकास दिव्यकीर्ति का यह बयान उस वक्त और भी महत्वपूर्ण हो गया जब इसका जिक्र यूपीएससी इंटरव्यू में भी किया गया।

डायरेक्टर का बयान: फिल्म निर्माण की चुनौतियाँ

डायरेक्टर ने आगे कहा कि फिल्म निर्माण की प्रक्रिया ना केवल तकनीकी होती है, बल्कि उसमें भावनाओं और दर्शकों की रुचियों की भी गहरी समझ की आवश्यकता होती है। "जब आप फिल्म बना रहे होते हैं, तो आपको न केवल कहानी पर ध्यान देना पड़ता है, बल्कि दर्शकों को भी सही तरीके से समझाना होता है," उन्होंने कहा। इसके विपरीत, कलेक्टर बनने की प्रक्रिया एक निश्चित नियमों और दिशानिर्देशों के अनुसार होती है। यह तुलना दर्शाती है कि फिल्म निर्माण कितनी जटिल और चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

यूपीएससी इंटरव्यू में फिल्म निर्माण का जिक्र

यूपीएससी इंटरव्यू की परीक्षा में विभिन्न करियर और जीवन के अनुभवों पर सवाल पूछे जाते हैं, और यह सुनकर हैरानी हुई कि विकास दिव्यकीर्ति की फिल्म निर्माण की कहानी इस बार उम्मीदवार के लिए चर्चा का विषय बनी। इस विषय पर गहन विचार विमर्श हुआ और यह बताया गया कि कैसे एक फिल्म निर्माता को न केवल अपनी कला पर ध्यान देना होता है, बल्कि दुनिया के संवेदनाओं को भी समझना होता है।

समापन विचार

डायरेक्टर के बयान ने एक नई बहस खड़ी कर दी है कि क्या हम फिल्म निर्माण की प्रक्रिया को सामाजिक और प्रशासनिक क्षेत्र के समकक्ष रख सकते हैं। विकास दिव्यकीर्ति की यात्रा इस दिशा में एक प्ररेणा है, जिससे हमें सिखने को मिलता है कि किसी भी काम में चुनौतियाँ हमेशा होती हैं। फिल्म और प्रशासन का यह ताल्लुक भविष्य में और भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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