'संगम में गंगा जल को लेकर CPCB की रिपोर्ट अधूरी', JNU समेत इन 3 यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने रिसर्च पर जताया संदेह
महाकुंभ में बड़ी संख्या मे श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। अब तक करीब 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम के जल में डुबकी लगा चुके हैं। वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने इस जल को स्नान करने योग्य भी नहीं माना है।
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'संगम में गंगा जल को लेकर CPCB की रिपोर्ट अधूरी'
News by PWCNews.com
प्रस्तावना
गंगा नदी के संगम में जल की गुणवत्ता को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की हालिया रिपोर्ट पर प्रश्न चिन्ह लग गए हैं। जाने-माने शिक्षकों और शोधकर्ताओं ने इस रिपोर्ट की वैधता पर संदेह व्यक्त किया है, जिसमें जू National University (JNU) के प्रोफेसरों का नाम प्रमुखता से लिया गया है।
CPCB की रिपोर्ट का संक्षिप्त विवरण
CPCB द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में गंगा जल की स्थिति का पूरा विवरण दिया गया है, लेकिन कई प्रोफेसरों का मानना है कि इसमें जरूरी डेटा की कमी है। यह सवाल उठता है कि क्या यह रिपोर्ट जल गुणवत्ता के विभिन्न पहलुओं को सही तरीके से दर्शाती है।
शोधकर्ताओं की चिंताएँ
JNU और अन्य तीन विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों ने गंगा जल की स्थिति पर अपनी खुद की रिसर्च को साझा किया। उनके अनुसार CPCB की रिपोर्ट कुछ महत्वपूर्ण तत्वों को नज़रअंदाज़ कर रही है। उन्होंने कहा कि जल प्रदूषण, नदियों की पारिस्थितिकी, और स्थानीय समुदायों के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को उचित रूप से संबोधित नहीं किया गया है।
जल प्रदूषण का गहरा प्रभाव
गंगा नदी भारत की संस्कृति और परंपरा का अभिन्न अंग है, लेकिन जल प्रदूषण ने इसकी स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। शुद्धता के लिए किए जाने वाले प्रयासों के बावजूद, जिन कारणों से गंगा जल प्रदूषित होता है, उनका समाधान नहीं किया गया है।
आगे की खोज
इस मसले के समाधान के लिए सभी संबंधित पक्षों को एक साथ आकर काम करने की आवश्यकता है। शोधकर्ताओं ने सरकार से अनुरोध किया है कि वे प्रदूषण रोधी नीतियों को लागू करने में प्राथमिकता दें। इसके अलावा, वे अपने शोध को जनता के सामने रखने के लिए और जागरूकता फैलाने के लिए भी प्रयासरत हैं।
निष्कर्ष
गंगा जल की गुणवत्ता को लेकर CPCB की रिपोर्ट अधूरी होने का संकेत स्पष्ट है। जिम्मेदार संस्थाओं को एक सत्यापित और व्यापक अध्ययन करने की आवश्यकता है ताकि गंगा को प्रदूषण से बचाया जा सके।
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