1 घंटे के अंदर ₹5,80,000 करोड़ बर्बाद, भयावह गिरावट के बीच 22,300 के नीचे पहुंचा निफ्टी
शुक्रवार को, शुरुआती कारोबार में बीएसई पर लिस्ट कंपनियों का कुल मार्केट कैप 5.8 लाख करोड़ रुपये की गिरावट के साथ 387.3 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। आज निफ्टी आईटी इंडेक्स के शेयरों में 4% तक की भारी-भरकम गिरावट देखने को मिली। पर्सिस्टेंट सिस्टम्स, टेक महिंद्रा सबसे ज्यादा गिरने वाले शेयर रहे।

1 घंटे के अंदर ₹5,80,000 करोड़ बर्बाद, भयावह गिरावट के बीच 22,300 के नीचे पहुंचा निफ्टी
News by PWCNews.com
भारत के शेयर बाजार में भारी गिरावट
भारतीय शेयर बाजार ने मंगलवार को एक गंभीर संकट का सामना किया, जब निफ्टी 22,300 के स्तर से नीचे चला गया। केवल एक घंटे में, निवेशकों ने ₹5,80,000 करोड़ का नुकसान देखा। यह एक भयावह गिरावट है जो वित्तीय बाजारों में सनसनी उत्पन्न कर रही है। इस स्थिति के कारण विभिन्न बाहरी और आंतरिक कारक हैं, जिन पर विचार करना आवश्यक है।
गिरावट के मुख्य कारण
निफ्टी की यह गिरावट कई आर्थिक और राजनीतिक कारकों की परिणति मानी जा रही है। वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, ताजे कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि, और उच्च महंगाई दर ने निवेशकों के विश्वास को प्रभावित किया है। इसके अलावा, फेडरल रिजर्व की नीति में बदलाव के संकेत भी बाजार को हिला रहे हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की बाजार गतिविधि अस्थायी हो सकती है। कुछ निवेशकों का मानना है कि इस गिरावट के समय में खरीदारी के मौके का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है क्योंकि स्थिति और भी खराब हो सकती है।
निवेशकों के लिए सुझाव
निवेशकों को इस समय फंडामेंटल्स पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह विचार करना महत्वपूर्ण है कि किन कंपनियों के शेयर दीर्घकालिक स्थिरता और विकास की संभावनाएँ पेश कर रहे हैं।
निष्कर्ष
इस समय, भारतीय बाजार के हालात को ध्यान में रखते हुए निवेशकों को अधिक सतर्क रहना चाहिए। निफ्टी में गिरावट का संकट निश्चित रूप से चिंता का विषय है, लेकिन सही रणनीति के साथ निवेशक इसका सामना कर सकते हैं। पूरी जानकारी और अपडेट के लिए, PWCNews.com पर बने रहें। Keywords: निफ्टी गिरावट, भारतीय शेयर बाजार, ₹5,80,000 करोड़ बर्बाद, निवेशकों को सुझाव, बाजार के हालात, वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, फेडरल रिजर्व नीति, निवेश रणनीतियाँ, शेयर बाजार समाचार, वित्तीय संकट, भारतीय अर्थव्यवस्था, महंगाई दर, निवेश ट्रेंड्स
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