15 हजार से ज्यादा लाशों का किया पोस्टमॉर्टम, मिलिए 18 साल में एक भी ‘छुट्टी’ न लेने वाले डॉक्टर से
इंदौर के शासकीय गोविंद बल्लभ पंत जिला चिकित्सालय के डॉक्टर भरत बाजपेयी ने 18 साल में सिर्फ एक महीने की 'मेडिकल लीव' ली है, जबकि सामान्य छुट्टियां नहीं लीं। वे पोस्टमॉर्टम डिपार्टमेंट में काम कर रहे हैं।
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15 हजार से ज्यादा लाशों का किया पोस्टमॉर्टम, मिलिए 18 साल में एक भी ‘छुट्टी’ न लेने वाले डॉक्टर से
इस लेख में हम आपको एक ऐसे डॉक्टर की कहानी बताएंगे, जिन्होंने 18 वर्षों तक लगातार काम किया है और कभी भी छुट्टी नहीं ली। यह डॉक्टर अपने कर्तव्यों के प्रति अटूट निष्ठा के लिए जाने जाते हैं, और उन्होंने 15 हजार से ज्यादा लाशों का पोस्टमॉर्टम किया है। उनके अनुभव और उनके द्वारा किए गए कार्य ने न केवल चिकित्सा क्षेत्र को प्रेरित किया है, बल्कि आम जनता के लिए भी एक मिसाल पेश की है।
डॉक्टर की प्रेरणा और यात्रा
डॉक्टर की यह यात्रा कठिनाईयों और अनगिनत चुनौतियों से भरी रही है। उनका मानना है कि जीवन और मृत्यु के बीच जो संबंध होता है, उस पर अपने ज्ञान और अनुभव के माध्यम से प्रकाश डालना जरूरी है। उन्होंने मेडिकल कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और तुरंत ही पोस्टमॉर्टम के क्षेत्र में प्रवेश किया। उनका उद्देश्य हमेशा मानवता की सेवा करना था।
पोस्टमॉर्टम का महत्व
पोस्टमॉर्टम केवल एक चिकित्सा प्रक्रिया नहीं है; यह एक आवश्यक प्रक्रिया है जो मृत्यु के कारणों को समझने में मदद करती है। डॉक्टर ने जो विचार और दृष्टिकोण इस प्रक्रिया से जोड़ा है, वह उनके काम को अनूठा बनाता है। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें इस क्षेत्र में एक जाना-पहचाना नाम बना दिया।
समाज में डॉक्टर का योगदान
जिस प्रकार से डॉक्टर ने काम किया है, उसने न केवल स्वास्थ्य सेवा के मानकों को ऊंचा किया है, बल्कि उनके योगदान ने समाज को भी जागरूक किया है। इस कड़ी मेहनत और निरंतरता की कहानी ने कई लोगों को प्रेरित किया है कि वे अपने कर्तव्यों के प्रति कितने गंभीर हो सकते हैं।
समापन विचार
यह कहानी केवल एक डॉक्टर की नहीं, बल्कि उन सभी पेशेवरों की है जो अपने काम में उत्कृष्टता की आकांक्षा रखते हैं। उन्होंने जो उदाहरण पेश किया है, वह हमें याद दिलाता है कि सेवा का भाव और मानवता के प्रति दायित्व निभाना कितना महत्वपूर्ण होता है।
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