₹1.88 लाख करोड़ की धरी गई GST चोरी, इस अवधि के दौरान हुआ गोलमाल, समझें पूरी बात
इस अवधि में 132 गिरफ्तारियां की गईं और 20,128 करोड़ रुपये की वसूली की गई। जीएसटी के तहत चार मुख्य स्लैब के तहत टैक्स लगाए जाते हैं - 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत।

₹1.88 लाख करोड़ की धरी गई GST चोरी, इस अवधि के दौरान हुआ गोलमाल, समझें पूरी बात
हाल ही में, भारत में जीएसटी चोरी की एक बड़ी रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें अनुमानित ₹1.88 लाख करोड़ की धोखाधड़ी का मामला उजागर हुआ है। यह मामला इस दौरान हुआ है जब जीएसटी प्रणाली में कई महत्वपूर्ण परिवर्तनों को लागू किया गया था। इस लेख में, हम इस वित्तीय गोलमाल के पीछे की कहानी को समझेंगे और इसके प्रभावों पर चर्चा करेंगे।
क्या है जीएसटी चोरी?
जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) प्रणाली को भारत में 2017 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य अप्रत्यक्ष करों के संग्रह को सरल और प्रभावी बनाना था। हालांकि, जैसे-जैसे यह प्रणाली विकसित हुई, कुछ व्यवसायों ने इसे धोखाधड़ी के लिए उपयोग करना शुरू कर दिया। यह स्थिति तब पैदा हुई जब व्यवसायों ने जीएसटी के तहत अपनी बिक्री को कम दर्शाया या अपनी खरीद को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया, जिससे कर चोरी की गई।
यों हुआ गोलमाल
सरकार द्वारा चलाए गए विशेष ऑडिट और जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि कई कंपनियाँ अपने कर विवरण में गड़बड़ी कर रही थीं। ये कंपनियाँ न केवल करों का भुगतान नहीं कर रही थीं, बल्कि इससे संबंधित दस्तावेज भी फर्जी तरीके से तैयार कर रही थीं। यह सब चल रहा था जब केंद्र और राज्य सरकारें जीएसटी प्रणाली को सुधारने और इसे अधिक पारदर्शी बनाने के लिए प्रयासरत थीं।
इसका प्रभाव
₹1.88 लाख करोड़ की यह चोरी न केवल देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है, बल्कि इससे नागरिकों पर भी भारी बोझ पड़ता है। जब सरकार को करों का नुकसान होता है, तो वह सामाजिक कल्याण योजनाओं और विकास परियोजनाओं में निवेश करने में असमर्थ होती है। इससे सत्ता की संविदानिकता भी सवालों के घेरे में आती है।
समापन विचार
जीएसटी चोरी के इस बड़े मामले ने न केवल सरकार के समक्ष चुनौतियाँ पेश की हैं, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वित्तीय पारदर्शिता को सुनिश्चित करना कितना आवश्यक है। देश के नागरिकों को भी इस बारे में जागरूक होना चाहिए ताकि वे करों का सही ढंग से भुगतान करें और धोखाधड़ी के मामलों से बचें। ऐसे में, सख्त कार्रवाई और बेहतर प्रणाली विकसित करना आवश्यक होगा।
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